जीएम के आदेश के बाद भी नहीं बदली आरक्षण केंद्र की सूरत
जीएम के आदेश के बाद भी नहीं बदली आरक्षण केंद्र की सूरत एक-दूसरे की आवाज नहीं सुन पाते बुकिंग क्लर्क व यात्रीखड़े होकर काटना पड़ता टिकटयात्रियों को होती परेशानी, कामकाज प्रभावितफोटो. 3परिचय. बुकिंग क्लर्क तक अपनी बात पहुंचाने के लिए शीशा के पास मुंह सटाये यात्री.प्रतिनिधि,दरभंगा.रेवले के अभियंताओं की अदूरदर्शिता के कारण नव निर्मित आरक्षण […]
जीएम के आदेश के बाद भी नहीं बदली आरक्षण केंद्र की सूरत एक-दूसरे की आवाज नहीं सुन पाते बुकिंग क्लर्क व यात्रीखड़े होकर काटना पड़ता टिकटयात्रियों को होती परेशानी, कामकाज प्रभावितफोटो. 3परिचय. बुकिंग क्लर्क तक अपनी बात पहुंचाने के लिए शीशा के पास मुंह सटाये यात्री.प्रतिनिधि,दरभंगा.रेवले के अभियंताओं की अदूरदर्शिता के कारण नव निर्मित आरक्षण भवन परेशानी का सबब बन गया है. टिकट लेने के दौरान यात्री व बुकिंग क्लर्क एक-दूसरे की आवाज सही से नहीं सुन पाते. इससे नित्य लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है. साथ ही इस वजह से कामकाज भी प्रभावित होता है. इसको लेकर रेल महाप्रबंधक ने निरीक्षण के दौरान इसे दुरस्त करने का निर्देश दिया था. इस आदेश का एक साल बीत जाने के बाद भी आजतक अनुपालन नहीं हो सका है. लिहाजा समस्या जस की तस पड़ी है. दो साल पूर्व बना भवनएक ही भवन में सामान्य टिकट व आरक्षण टिकट काउंटर चलाने के योजना के तहत दरभंगा जंकशन पर नये यूटीएस सह पीआरएस भवन का निर्माण हुआ. पहले जहां जीआरपी थाना के उत्तर यूटीएस काउंटर का संचालन होता था, वहीं इसके दक्षिण जहां इस समय फूड प्लाजा चल रहा है. उसी भवन में आरक्षण केंद्र चलता था. इसे एक भवन में लाने की योजना के तहत पार्सल कार्यालय के पश्चिम नये भवन का निर्माण किया गया. अरसे तक खटाई में लटके रहने के बाद आखिरकार वर्ष 2014 में यह बनकर तैयार हो गया. 15 फरवरी हो अपने वार्षिक निरीक्षण के क्रम में पूर्व मध्य रेल के तत्कालीन जीएम मधुरेश कुमार ने इसका उद्घाटन किया था. इसके बाद से जमीनी तल पर यूटीएस तथा उपरी तल पर पीआरएस काउंटर का संचालन आरंभ हो गया. आवाज सुनने में समस्याइस भवन का निर्माण ऐसा हुआ कि काउंटर के भीतर बैठे बुकिंग क्लर्क की आवाज टिकट लेने अथवा रद्द कराने के लिए कतार में लगे यात्री एक-दूसरे की आवाज स्पष्ट नहीं सुन पाते हैं. यह समस्या काउंटर संचालन प्रारंभ होने के साथ शुरू हो गयी. आलम यह है कि प्रत्येक यात्री से सही जानकारी पाने तथा उन्हें सही जानकारी देने के लिए बुकिंग क्लर्क को अपनी सीट से उठना पड़ता है. बुकिंग क्लर्क को जहां अपना मुंह काउंटर पर लगे शीशे के छेद के पास ले जाना पड़ता है, वहीं यात्रियों को अपना कान इसमें सटाना पड़ता है. लगभग चिल्लाकर बोलने के बाद ही ये दोनों एक-दूसरे की आवाज ही सुन पाते हैं. इसका दूसरा कारण काउंटर के अंदर बने स्लैब की चौड़ाई अधिक होना भी बताया जाता है. यही वजह है कि अपने ड्यूटी काल के अधिकांश समय बुकिंग क्लर्क को खड़े रहकर ही काम करना पड़ता है. इसकी शिकायत भी रेल प्रशासन से की गयी, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा.जीएम का आदेश भी बेअसरपिछले साल 2015 में जनवरी माह में रेल महाप्रबंध यहां आये तो पीआरएस कर्मियों ने यह समस्या उनके समक्ष रखी. उन्होंने तत्काल अभियंत्रण विभाग को इस समस्या को दूर करने का आदेश दिया. तत्कालीन समस्तीपुर रेल मंडल प्रबंधक एके मल्लिक को इसे दुरूस्त कराने को कहा. सीसीएम महबूब रब ने भी इस बाबत निर्देश दिया, लेकिन इसका कोई सार्थक नतीजा नहीं निकल सका. समस्या जस की तस पड़ी है. सूत्र बताते हैं कि अभियंत्रण विभाग बिना लिखित आदेश के हथौड़ा तक उठवाने के लिए तैयार नहीं होता. दुर्भाग्य यह है कि वरीय अधिकारियों ने इस संबंध में लिखित आदेश नहीं दिया है. लिहाजा परेशानी बरकरार है. देखना है कि नये साल में यात्रियों की यह समस्या दूर होती है या फिर परेशानी के बीच ही यह साल भी गुजर जाता है.