मुखिया के विरोध में अनशन पर बैठे ग्रामीण

मुखिया के विरोध में अनशन पर बैठे ग्रामीण फोटो::::::::20परिचय : अनशन पर बैठे ग्रामीण. कमतौल / सिंहवारा. टेकटार पंचायत के ग्रामीणों द्वारा राजद प्रखंड महासचिव रघुनंदन प्रसाद तांती के नेतृत्व में मंगलवार से शीतल सार्वजानिक पुस्तकालय पर आमरण अनशन शुरू किया गया है. आमरण अनशन के पहले दिन दर्जनों की संख्या में शामिल लोगों ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 5, 2016 7:08 PM

मुखिया के विरोध में अनशन पर बैठे ग्रामीण फोटो::::::::20परिचय : अनशन पर बैठे ग्रामीण. कमतौल / सिंहवारा. टेकटार पंचायत के ग्रामीणों द्वारा राजद प्रखंड महासचिव रघुनंदन प्रसाद तांती के नेतृत्व में मंगलवार से शीतल सार्वजानिक पुस्तकालय पर आमरण अनशन शुरू किया गया है. आमरण अनशन के पहले दिन दर्जनों की संख्या में शामिल लोगों ने मुखिया पुत्र द्वारा किये गये कार्यों में अनियमतिता बरतने की शिकायत के बावजूद जांच नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से रोष प्रकट किया. आमरण अनशन को सफल बनाने के लिए पहले दिन पंचायत के कोने-कोने से आये ग्रामवासियों ने देर शाम तक किसी के आने की प्रतीक्षा में थे. परंतु समाचार लिखे जाने तक अनशनकारियों से मिलने एक भी पदाधिकारी नहीं पहुंचे. अनशन कारियों ने कहा की बार-बार आवेदन दिए जाने के बावजूद मुखिया पुत्र द्वारा कराये गए कार्य की जांच नहीं करवायी गयी. मजबूरन अनशन करना पड़ रहा है. अनशनकारियों का यह भी बताना था कि टेकटार पंचायत के मुखिया पुत्र द्वारा योजनाओं में लूट खसोट करना और ग्रामीणों द्वारा पदाधिकारियों से शिकायत करना कोई नयी बात नहीं है. पूर्व में मनरेगा योजना में लूट खसोट की शिकायत पर 13 फरवरी 13 को तत्कालीन जिलाधिकारी कुमार रवि द्वारा सामाजिक अंकेक्षण किया गया था. जिसमें मजदूरों द्वारा किये गए शिकायत की जांच वरीय उपसमाहर्ता गोविन्द नारायण चौधरी तथा कनीय अभियंता नितीश कुमार से करवाया गया. जांच में शिकायत सत्य पाये जाने की रिपोर्ट पर तत्कालीन डीएम कुमार रवि के निर्देश पर पीओ गोपाल कृष्ण ने कमतौल थाना में 15 मार्च को प्राथमिकी 26 / 13 दर्ज करवायी थी. अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सदर ने पत्रांक 1181 / 13 के पर्यवेक्षण रिपोर्ट में मामले को सत्य बताते हुए गिरफ्तारी का आदेश दिया था. कतिपय कारणों से गिरफ्तारी संभव नहीं हो सकी. फिलहाल मामला कोर्ट के अधीन होने की बात बतायी गयी है. ग्रामीणों की मानें तो पंचायत में करवाये गये कार्य की जांच होने पर कई अनियमतिता सामने आ सकती है. जिसकी जद में कई लोग आ सकते हैं. फिर भी प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी ग्रामीणों के आवेदन पर जांच करवाना मुनासिब नहीं समझते. बाध्य होकर ग्रामीणों को धरना और अनशन करने को विवश होना पड़ा है.

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