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गेहूं को दीमक कीट से बचाव को ले करें छिड़काव

गेहूं को दीमक कीट से बचाव को ले करें छिड़काव दरभंगा. किसानों के लिए जारी समसामयिक सुझाव में मौसम वैज्ञानिक ने कहा है कि गेहूं की फसल में दीमक कीट का प्रकोप होने पर इसके बचाव के लिए क्लोरपायरीफॉस 20 इसी दवा का 2 लीटर प्रति एकड़ की दर से 20-30 किलो बालू में मिलाकर […]

गेहूं को दीमक कीट से बचाव को ले करें छिड़काव दरभंगा. किसानों के लिए जारी समसामयिक सुझाव में मौसम वैज्ञानिक ने कहा है कि गेहूं की फसल में दीमक कीट का प्रकोप होने पर इसके बचाव के लिए क्लोरपायरीफॉस 20 इसी दवा का 2 लीटर प्रति एकड़ की दर से 20-30 किलो बालू में मिलाकर शाम के समय खेत में छिड़काव कर सिंचाई करें. गेहूं की फसल जो 40 से 45 दिनों की हो गयी है तो उसमें दूसरी सिंचाई कर 30 किलो ग्राम नेत्रजन का प्रति हेक्टेयर की दर से उपरिवेशन करें. कद्दूवर्गीय सब्जियों के लिए तैयार करें पौधकद्दुवर्गीय सब्जियों की अगेती फसल की पौध तैयार करने के लिए बीजों को पॉलीथीन के थैलों मेें उगाएं.पॉलीथीन के थैलों में बीज के अच्छे जमाव के लिए इसे पॉली घरों में रखें. प्याज का पौध जो कि 45-50 दिनों का हो गया हो उसे तैयार क्यारी में पंक्ति से पंक्ति की दूरी 15 सेमी तथा पौध से पौध की दूरी 10 सेमी पर रोपाई करें. पौध की रोपाई अधिक गहराई में नहीं करे. सरसों में सफेद रतुआ (व्हाईट रस्ट) रोग की निगरानी करें. प्रकोप दिखाई दे तो क्लोरथालोनील दवा 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर मौसम साफ रहने पर छिड़काव करें. मटर की फसल में चूर्णिल फफूंदी (पाउडरी मिल्डयू) रोग की निगरानी करें, जिसमें पत्तियों, फलों एवं तनों पर सफेद चूर्ण दिखाई पड़ती है. इस रोग से बचाव के लिए फसल में कैराथेन दवा का एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी अथवा सल्फेक्स दवा का 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें. मटर की फसल में अच्छे फलन के लिए 2 प्रतिशत यूरिया के घोल का छिड़काव करें. चने, मटर और टमाटर की फसल में फली छेदक कीट के नियंत्रण के लिये फिरोेमोन प्रपंश / 3-4 प्रपंस प्रति एकर की दर से लगायें. यदि कीट अधिक हो तो बीटी नियमन का छिड़काव करे. सब्जियों में निकाई-गुड़ाई एवं आवश्यकतानुसार सिंचाई करें. आलू में 10-15 दिनों के अन्त्तराल में सिंचाई करें. बरसीम और लूसर्न की कटाई 25-30 दिनों के अन्तर पर करेंं. प्रत्येक कटनी के बाद सिंचाई करें. सिंचाई के बाद खेतों में 10 किलो ग्राम प्रति हेक्टर की दर से नेत्रजन दें. दूधारु पशुओं के रख-रखाव एवं खान पान पर विशेष ध्यान दें.

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