खटाई में दरभंगा-समस्तीपुर का दोहरीकरण
दरभंगा : दरभंगा-समस्तीपुर रेलखंड के दोहरीकरण अंधेरे के गर्त्त में ही ठोकरें खा रहा है. रेल बजट 2015-16 में इसे शामिल करने तथा राशि का प्रावधान किये जाने के बाद उम्मीद की एक किरण फूटी. बिहार में संपन्न विधानसभा से पूर्व जोर-शोर से निर्माण कार्य आरंभ होने को लेकर चर्चा उठी. विभाग ने तैयारी भी […]
दरभंगा : दरभंगा-समस्तीपुर रेलखंड के दोहरीकरण अंधेरे के गर्त्त में ही ठोकरें खा रहा है. रेल बजट 2015-16 में इसे शामिल करने तथा राशि का प्रावधान किये जाने के बाद उम्मीद की एक किरण फूटी. बिहार में संपन्न विधानसभा से पूर्व जोर-शोर से निर्माण कार्य आरंभ होने को लेकर चर्चा उठी. विभाग ने तैयारी भी कर ली. आजकल के बीच में आदर्श आचार संहिता लागू हो गयी. मामला खटाई में पड़ गया.
चुनाव खत्म होने के बाद सरकार गठन के भी करीब तीन माह बीत गये, लेकिन इस परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए कोई भी परिणामदायी पहल होती नजर नहीं आ रही. दोहरीकरण प्रमुख आवश्यकता दरभंगा -समस्तीपुर के बीच रेलखंड का दोहरीकरण सबसे जरूरी है. महकमा भी इसकी जरूरत शिद्दत से महसूस कर रहा है. डीआरएम से लेकर मुख्यालय स्तर तक के पदाधिकारी कई बार इसकी आवश्यकता को रेखांकित कर चुके हैं.
महज 38 किलोमीटर की इस दूरी को तय करने में सुपरफास्ट ट्रेनों को घंटों लग जाते हैं. सवारी गाडि़यों की हालत तो और भी बदतर रहती है. सूत्रों का कहना है कि यही वजह है कि लंबी दूरी की गाडि़यों का फेरा बढ़ाने तथा नयी ट्रेनों के परिचालन आरंभ करने में परेशानी हो रही है. क्रॉसिंग के लिए कई गाडि़यों को एक घंटा तक रोके रखा जाता है. लिहाजा यात्रियों को परेशानी होती है. पटरी का हो रहा क्षमता से अधिक उपयोग इस खंड पर रेल पटरी का उपयोग क्षमता से बहुत अधिक किया जा रहा है.
रेलवे के अभियंत्रण विभाग के अनुसार इस खंड का उपयोग करीब दोगुणा हो रहा है. यह सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक है. मंडल के संरक्षा विभाग ने इसको लेकर अपनी रिपोर्ट में ऐतराज भी दर्ज करा रखा है. बावजूद इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा. दो दशक बाद भी डबलिंग नहींदरभंगा-समस्तीपुर के बीच बड़ी रेल लाइन की ट्रेनों का परिचालन पिछले दो दशक से हो रहा है.
इतनी लंबी अवधि बीत जाने के बावजूद इसका दोहरीकरण आजतक नहीं किया जा सका. इसको लेकर कई बार आवाज उठी. सांसद-विधायक से लेकर आम संगठनों ने भी मांग की, लेकिन नतीजा सिफर रहा. ज्ञातव्य हो कि 2 फरवरी 1996 को इस खंड का आमान परिवर्तन हुआ था. बजट में मिली स्वीकृति से जगी आस लंबे अरसे बाद मौजूदा केंद्र सरकार ने इस खंड के दोहरीकरण की घोषणा वित्तीय वर्ष 2015-16 के रेल बजट में की. इससे पूर्व 2014-15 के बजट में इस खंड को सर्वे के लिए शामिल किया गया था. चालू वित्तीय वर्ष के बजट में 38 किमी लंबे खंड के लिए 380 करोड़ की परियोजना को हरी झंडी दी गयी.
तत्काल 8 करोड़ 68 लाख 94 हजार रुपये उपलब्ध भी करा दिया गया. इसके बाद विभाग से एप्रुवल मिलने के बाद काम शुरू होना था. चर्चा में ही सिमटकर रह गया कार्य आरंभ विधानसभा चुनाव से पूर्व इस खंड के दोहरीकरण का काम शुरू होने की चर्चा जोर-शोर से उठी. सितंबर 2015 में इसके लिए अनऑफिशियल दो डेट भी घोषित किये गये. इस आलोक में दरभंगा जंकशन के मुख्य भवन के समक्ष स्थित हनुमान मंदिर के बगल में शिलापट्ट लगाये जाने को लेकर स्तम्भ का आनन-फानन में निर्माण भी कर दिया गया. समारोह आयोजन को लेकर बांस-बल्ले भी गाड़ दिये गये. लेकिन बाद में बांस-बल्ले हटा लिये गये.
स्तम्भ शिलापट्ट की राह आज भी देख रहा है. सूत्रों की मानें तो दरभंगा व समस्तीपुर के सांसदों के बीच शिलान्यास स्थल को लेकर बरकरार जिच के कारण तत्काल इसे टाल दिया गया. इसके बाद आचार संहिता लागू हो गयी. चुनाव खत्म हुए दो माह से अधिक बीत गये लेकिन आजतक काम आरंभ नहीं हुआ. इस संबंध में सीनियर डीसीएम सह जनसंपर्क पदाधिकारी बीएनपी वर्मा का कहना है कि यह निर्माण विभाग के अधीन आता है. मंडल स्तर पर इस बाबत कोई सूचना नहीं है.