ढाई करोड़ के सफाई उपस्करों की हुई खरीददारी भाड़े के ट्रैक्टरों पर हो रहे प्रतिमाह लाखों खर्च

ढाई करोड़ के सफाई उपस्करों की हुई खरीददारी भाड़े के ट्रैक्टरों पर हो रहे प्रतिमाह लाखों खर्च शहर की सफाई व्यवस्था सवालों के घेरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के अनुरूप दरभंगा को स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल करने के लिए तत्कालीन आइएएस नगर आयुक्त सहित उनकी पूरी टीम ने काफी मेहनत की, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 17, 2016 5:38 AM

ढाई करोड़ के सफाई उपस्करों की हुई खरीददारी भाड़े के ट्रैक्टरों पर हो रहे प्रतिमाह लाखों खर्च

शहर की सफाई व्यवस्था सवालों के घेरे में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के अनुरूप दरभंगा को स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल करने के लिए तत्कालीन आइएएस नगर आयुक्त सहित उनकी पूरी टीम ने काफी मेहनत की, पर सफलता नहीं मिली. स्मार्ट सिटी से वंचित होने पर अधिकारियों ने सफाई उपस्करों की खरीददारी में ही स्मार्टता दिखायी. करीब ढाई करोड़ से अधिक की लागत से कम्पेक्टर, ऑटो टीपर, जेसीबी रोबॉट, बैट्री चालित ऑटो रिक्सा जैसे कई उपस्करों की खरीददारी की. लेकिन इसे बिडम्बना ही कहा जाय कि इतने मशीनों के खरीददारी के बावजूद भाड़े के ट्रैक्टरों से नगर निगम को निजात नहीं मिली है.
प्रतिमाह भाड़े के ट्रैक्टर के भाड़ा एवं तेल के नाम पर लाखों की खर्च की जा रही है. सफाई व्यवस्था का आलम यह है कि नौ वर्षों से डंपिंंग ग्राउंड के लिए 50 लाख रुपये निगम कोष में पड़े हैं लेकिन जमीन उपलब्धता नहीं होंने से सड़क किनारे जहां-तहां प्रतिदिन कचरा फेंककर चारों ओर वातावरण को प्रदूषित किया जा रहा है.
दरभंगा : ‘मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की’ वाली कहावत नगर निगम पर चरितार्थ हो रही है. अगले वित्तीय वर्ष के लिए सरकार ने करीब पौने दो अरब का बजट स्वीकृत कर राज्य सरकार को भेज दिया.
शहर की सफाई व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए निगम प्रशासन ने करीब 50 लाख में दो कम्पेक्टर, 94 लाख में 16 ऑटो टीपर, 38 लाख में 2 जेसीबी रोबॉट, करीब 70 लाख में 54 बैट्री चालित ऑटो रिक्सा की खरीददारी की. उन सफाई उपस्करों की खरीददारी के पूर्व तत्कालीन नगर आयुक्त ने घोषणा की थी कि उक्त सभी उपस्करों के आने के बाद भाड़े के ट्रैक्टरों से कचरा उठाव बंद कर दिया जायेगा. लेकिन कई महीने बाद भी उसका अनुपालन नहीं हो सका है. फलत: लाखों रुपये प्रत्येक माह ट्रैक्टर के भाड़ा से लेकर डीजल पर खर्च हो रहे हैं.
विभागीय सूत्रों के अनुसार शहर में प्रतिदिन करीब 90 मिट्रिक टन कचरा शहर से निकलता है. राज्य सरकार ने कचरा निस्तारण के लिए करीब नौ वर्ष पूर्व डंपिंग ग्राउंड की जमीन खरीदने को 50 लाख रुपये आवंटित किये. अबतक जमीन की खरीददारी नहीं होने से वह राशि निगम कोष में पड़ी है.
इस बीच निगम के सफाई कर्मियों की समस्या यह है कि प्रत्येक माह शहर के चारों ओर प्रवेश द्वार से लेकर थोड़ी दूरी तक वह शहर से उठाये गये कचरों का निस्तारण करता है. जिला प्रशासन से लेकर नगर निगम प्रशासन लगातार शीघ्र ही डंपिंग ग्राउंड के लिए जमीन उपलब्धता पर चर्चा तो करते हैं,
लेकिन उसका प्रतिफल कुछ भी नहीं दिख रहा.
तीन महीने से गोदाम में पड़े हैं दो कम्पेक्टर
बैट्री चालित ऑटो रिक्सा एवं ट्रैक्टर, ऑटो टीपर से जमा किये गये कचरा को शहर के बाहर फेंकने के लिए निगम प्रशासन ने करीब पचास लाख की लागत से दो कम्पेक्टर मशीनों की खरीददारी की. कम्पेक्टर रजिस्ट्रेशन के बाद लगातार निगम गोदाम में पड़ा है. उसका अबतक एक दिन भी उपयोग नहीं हो सका है.
जानकारी के अनुसार एक कम्पेक्टर की इतनी क्षमता है कि उसपर आधा दर्जन ट्रैक्टरों के कचरों को एक बार में लोड कर उसे फेंका जा सके. इस बीच निगम सूत्रों के अनुसार छोटे वाहनों जैसे ट्रैक्टर, ऑटो टीपर पर लदे कचरे को कहीं शहर के बाहर सड़क किनारे गिरा दिया जाता है. लेकिन कम्पेक्टर से व्यापक मात्रा में एक जगह कचरा गिराने पर आसपास के लोगों का विरोध शुरू हो जायेगा. जिसके तहत उसे तत्काल निगम गोदाम में ही रखा जा रहा है.

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