बेसहारा को मिला सहारा

बेसहारा को मिला सहारा मालिक ने ठुकराया, कर्मियों ने अपनाया 14 साल बाद लौटा इरफानफोटो : 24परिचय : बेसहारा इरफान की तस्वीरदरभंगा : रेल पुलिस ने सात अप्रैल को स्टेशन से एक बेसहारा यात्री को डीएमसीएच में भर्ती कराने के वजाय इमरजेंसी वार्ड के समक्ष छोड़कर चले गये. दोनों पांव से लाचार यात्री मो. इरफान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2016 12:00 AM

बेसहारा को मिला सहारा मालिक ने ठुकराया, कर्मियों ने अपनाया 14 साल बाद लौटा इरफानफोटो : 24परिचय : बेसहारा इरफान की तस्वीरदरभंगा : रेल पुलिस ने सात अप्रैल को स्टेशन से एक बेसहारा यात्री को डीएमसीएच में भर्ती कराने के वजाय इमरजेंसी वार्ड के समक्ष छोड़कर चले गये. दोनों पांव से लाचार यात्री मो. इरफान उपचार के लिए इमरजेंसी वार्ड के समक्ष पड़ा रहा, लेकिन किसी ने इसकी सुधि नहीं ली. नियंत्रण कक्ष के स्टाफ नर्स और गार्ड के रुप में ड्यूटी पर तैनात भूतपूर्व सैनिक पी पाठक की नजर उस लाचार पर पड़ी. पूछताछ शुरु हुई. इरफान ने बताया कि वह बिहार संपर्क क्रांति से दिल्ली से दरभंगा आये हैं. वह भूखे पेट है और दिल्ली में एक बस ने धक्का मार दिया था जिसमें उसका दोनों पांव लाचार हो गया. कर्मियों ने दिखाई दिलेरीनियंत्रण कक्ष के स्टाफ नर्स ने उसे खाने के लिए 50 रुपये दिये. साथ ही भूतपूर्व सैनिको ने भी राशि दी. इसके बाद उसका पूर्जा कटा और कर्मियों ने इरफान को भर्ती कराया. कैसे घटी घटनामो. इरफान दिल्ली के आर्म्स मेस में काम करता था. दिल्ली कैंट स्थित पालम एयर पोर्ट स्थित ऑफिसर्स मेस से बिग्रेडियर सुरेंद्र सिंह यादव के घर खाना लेकर जा रहा था. इसी दौरान एक भारी वाहन ने उसे ठोकर मार दी और उसे वहां के एक सैनिक ने दिल्ली के बेस हास्पिटल में भर्ती कराया. जहां डाक्टरों ने इरफान के दोनों पांव ठीक होने की लाचारी बतायी. इसके बाद आरपीएफ वालों ने इरफान को बिहार संपर्क क्रांति मेें चढा दिया. इसके बाद वह दरभंगा पहुंचा. 14 साल बाद लौटा घर मधुबनी जिला के बासोपट्टी थाना क्षेत्र के कटैया गांव निवासी स्व. जाकिर हुसैन क े पुत्र मो. इरफान 7 साल की आयु में घर से भागकर दिल्ली पहुंच गया था. दिल्ली में उसे सैनिकों के मेस मंे खाना पहुंचाने पर रखा गया था. तब से आज तक इरफान वहीं सैनिकों की सेवा मे ंलगा था. इसी दौरान मो. इरफान को एक वाहन ने ठोकर मार दिया जिसमें उसके दोनों पांव से लाचार हो गया, लेकिन वहां के सैनिकोें ने इस लाचारी में मो. इरफान की सुधि नहीं ली और उसे दरभंगा के लिए ट्रेन पकड़ा दिया. इरफान ने बताया कि इस दौरान उनके मो. जाकिर एवं उनकी मां का इंतकाल हो गया. अब उनके घर पर दादी और एक भाई है. ऊपर से हमारा बोझ कैसे सहन करेगी. अब परिवार के लिए मैं बोझ गया हूं.

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