नैनो साइंस : अनुसंधान में वश्वि के साथ कदमताल करेगा लनामिवि

नैनो साइंस : अनुसंधान में विश्व के साथ कदमताल करेगा लनामिवि पिछड़े मिथिला क्षेत्र में आधुनिक तकनीकी अपना रचा इतिहास उच्च स्तरीय शोध संस्थान की स्थापना में जुटा विवि प्रशासन लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ आगे बढ़ेगा मिथिला फोटो संख्या- 18परिचय- लनामिवि की तसवीर इंट्रो : विज्ञान की दुनियां की लेटेस्ट टेक्नोलॉजी नैनो साइंस का केंद्र […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2016 12:00 AM

नैनो साइंस : अनुसंधान में विश्व के साथ कदमताल करेगा लनामिवि पिछड़े मिथिला क्षेत्र में आधुनिक तकनीकी अपना रचा इतिहास उच्च स्तरीय शोध संस्थान की स्थापना में जुटा विवि प्रशासन लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ आगे बढ़ेगा मिथिला फोटो संख्या- 18परिचय- लनामिवि की तसवीर इंट्रो : विज्ञान की दुनियां की लेटेस्ट टेक्नोलॉजी नैनो साइंस का केंद्र मिथिला क्षेत्र में खुल रहा है. ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर रसायनशास्त्र विभाग में इसके अनुसंधान के लिए केंद्र बनाया जा रहा है. विश्वविद्यालय प्रशासन इसकी तैयारी तथा राशि के प्रबंध में जुटा है. जिस दिन यह धरातल पर उतरेगा, ऐतिहासिक दिन होगा. दरभंगा : अत्यंत पिछड़े इलाके में शुमार मिथिला क्षेत्र में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी को अपनाकर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय नया इतिहास रचने जा रहा है. विज्ञान के क्षेत्र में सबसे नयी तकनीकी नैनो टेक्नोलॉजी के लिए यहां उच्च स्तरीय शोध संस्थान की स्थापना की जा रही है. इससे न केवल रोजगार के अवसर पैदा होंगे, बल्कि आर्थिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा. लनामिवि के स्नातकोत्तर रसायन विभाग में इस केंद्र के स्थापना की योजना है. विज्ञान के छात्रों के लिए यह केंद्र वरदान साबित होगा. इस क्षेत्र के बच्चे तो आगे बढ़ेंगे ही, बाहर से भी छात्रों का अनुसंधान के लिए यहां आगमन होगा. तात्पर्य यह विश्वविद्यालय इस केंद्र के कारण देश ही नहीं दुनियां में चर्चित-परिचित हो जायेगा. विवि प्रशासन कुलपति डा. साकेत कुशवाहा के नेतृत्व में इसकी तैयारी में जुटा है. दुनियां के साथ करेगा कदमतालनैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी पर यहां उच्च स्तरीय शोध संस्थान की स्थापना का काम तीव्र गति से चल रहा है. इसमें लनामिवि के शोध के इच्छुक शिक्षक-छात्र काम करेंगे. यह संस्थान दुनियां के अग्रणी संस्थानों के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ सहभागी रहेगा. विश्व के साथ यह अनुसंधान के क्षेत्र में आगे बढ़ेगा. दुनियां के शोध स्तर को भी बढ़ाने में यह भूमिका निभायेगा. बनेगा अनुसंधान का वातावरण कुछ एक को छोड़कर अबतक प्राय: सभी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी को अपेक्षाकृत विकसित प्रदेश तथा स्थानों ने स्वीकार किया है. यही कारण है कि अग्रणी क्षेत्र निरंतर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता जाता है. इस दृष्टि से पहला अवसर है जब इतने पिछड़े क्षेत्र में लेटेस्ट तकनीकी को अपनाने के लिए ठोस पहलकदमी की जा रही है. इससे इस क्षेत्र में भी शोध के वातावरण का निर्माण होगा. बता दें कि निरंतर शोध से छात्रों का पलायन हो रहा है. कमाऊ सर्टिफिकेट कोर्स तथा प्रतियोगी परीक्षा में बच्चों की अभिरूचि अधिक है. इस नजरिये से यह केंद्र काफी बेहतर साबित होगा. क्या है नैनो तकनीकीप्रसिद्ध विज्ञानवेत्ता डा. प्रेम मोहन मिश्र बताते हैं कि एक मीटर के अरबवें भाग को एक नैनो मीटर कहा जाता है. यह मनुष्य के बाल के व्यास का लगभग 20 हजारवां भाग होता है. मतलब इतना छोटा होता है. जिस सामग्री का एक भी आयाम नैनो मीटर में होता है, उसे नैनो सामग्री कहते हैं. वहीं इस तकनीकी को नैनो टेक्नोलॉजी कहा जाता है. इसमें नैनो कप, नैनो तार, नैनो नली, नैनो झिल्ली आदि तरह के पदार्थ होते हैं. नैनो पदार्थों के अध्ययन की शाखा को नैनो विज्ञान तथा सामग्रियों के निर्माण व उपयोग के तरीके को नैनो तकनीकी कहते हैं. सबसे लोकप्रिय तकनीकी इसकी उपयोगिता को देखते हुए विश्व के अधिकांश देशों ने इस तकनीकी को अपनाया है. आजकल यह अत्यंत लोकप्रिय विषय है. लिहाजा नैनो तकनीकी के अध्ययन एवं शोध को काफी महत्व दिया जा रहा है. समस्याओं के निदान में होगा सहायकयह तकनीकी स्थानीय समस्याओं के निदान में भी कारगर साबित होगा. डा. मिश्र के मुताबिक कृषि उत्पादन में वृद्धि, स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति, स्वास्थ्य सेवाओं की सहजता, सौर ऊर्जा की उपलब्धता आदि विषयों पर यहां शोध किया जायेगा. भविष्य में यह समस्या के निदान में मददगार होगा. साथ ही इस तकनीकी के उपयोग से सस्ता एवं सर्व सुलभ सामग्रियों का निर्माण किया जायेगा. प्रतिकुलपति अधिकृत इस केंद्र के स्थापना के लिए चल रहे प्रशासनिक स्तर से कार्य को आगे बढ़ाने के लिए लनामिवि कुलपति ने प्रतिकुलपति प्रो सैयद मुमताजुद्दीन को अधिकृत किया है. बता दें कि अभी तक के फैसले के मुताबिक इसके पदेन निदेशक स्नातकोत्तर रसायनशास्त्र विभागाध्यक्ष होंगे. वहीं डा. प्रेममोहन मिश्र को संयोजक बनाया गया है. इधर पिछली बैठक में पहुंचे पूर्व कुलपति डा. राजमणि प्रसाद ने इसपर अपना व्याख्यान देते हुए आर्यभट्ट सहित अन्य विश्वविद्यालय जहां इस तकनीकी पर काम चल रहा है, जाकर अवलोकन करने की जरूरत जतायी ताकि यहां के केंद्र को चालू करने में किसी तरह की समस्या न हो. नैनो के लाभ*नैनो सामग्रियों ने सौंदर्य प्रसाधन के क्षेत्र में क्रांति ला दी है. *नैनो वस्त्र को साफ करने, सुखाने की आवश्यकता नहीं है. *नैनो संवेदक आवाज सुनकर दरवाजा खोलने, आग लगने पर सायरन बजाने का काम करता है.*बीमारियों के जांच के लिए छोटे-छोटे यंत्र का निर्माण करता है. *बिना पूरा अंग में चीरा लगाये छोटे छिद्र से दवा शरीर में पविष्ट करा उपचार में सहायक होता है. *दुर्घटनाग्रस्त शरीर के भाग का निर्माण करता है. *जल का शुद्धिकरण करता है. *कम बिजली खपत कर अधिक रोशनी देने वाले एलसीडी, एलइडी व ओएलइडी बल्ब का निर्माण करता है. *नैनो कंप्यूटर, मोबाइल, टीवी आदि का निर्माण करता है.

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