जलसंकट. अगले माह से सभी चापाकलों के सूखने की आशंका

सूख रहे तालाब-तलैये पाताल में जा रहा जलस्तर तेज पछिया हवा एवं लू के थपेड़ों के बीच तापमान तेजी से बढ़ने लगा है. अधिकांश मुहल्लों के चापाकल दिन में पानी देना बंद कर दिये हैं. मोटर भी पानी खींचने के बदले हांफ रहा है. अप्रैल में ही लोगों की परेशानी बढ़ रही है कि तो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 11, 2016 6:17 AM

सूख रहे तालाब-तलैये पाताल में जा रहा जलस्तर

तेज पछिया हवा एवं लू के थपेड़ों के बीच तापमान तेजी से बढ़ने लगा है. अधिकांश मुहल्लों के चापाकल दिन में पानी देना बंद कर दिये हैं. मोटर भी पानी खींचने के बदले हांफ रहा है. अप्रैल में ही लोगों की परेशानी बढ़ रही है कि तो मई-जून में क्या होगा.
दरभंगा : तेज पछिया हवा के बीच आग उगलती सूरज की किरणें तापमान को लगातार बढ़ा रहा है. विगत चार दिनों से तापमान में जिस तरह से लगातार वृद्धि हो रही है,
ऐसी स्थिति में मई-जून को सोचकर लोग अभी से चिंतित होने लगे हैं. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचइडी) के कार्यपालक अभियंता रामचंद्र पांडेय की मानें तो यदि तापमान का यही रवैया रहा तो मई में शहर के अधिकांश चापाकल सूख जायेंगे. उनका दावा है कि बड़े चापाकल (इंडिया मार्का) पर इसका आंशिक असर होगा.
सुबह आठ बजे सड़क पर चला मुश्किल : विगत तीन दिनों से तेज पछिया हवा एवं लू के कारण तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है. गत सात अप्रैल को तापमान 38 डिग्री, आठ को 38.4 व शनिवार को तापमान 38.7 पर पहुंच गया. सुबह आठ बजे से ही आग उगलती सूरज की किरणों के कारण सड़क पर वाहनों एवं बाइक सवारों की भीड़ कमने लगी है. दोपहर 12 से शाम चार बजे तक तो अधिकांश सड़कें वीरान रहती है. शहर का हृदयस्थल दरभंगा टावर पर 11 बजे से शाम चार बजे तक सामान्य दिनों में पैदल गुजरने में भी कठिनाई होती है.
आठ सालों मेंे 30 करोड़ खर्च, नहीं गिरा एक बूंद पानी : वित्तीय वर्ष 2006-07 में तत्कालीन नगर विकास एवं आवास मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने 840 करोड़ की लागत से दरभंगा शहरी जलापूर्ति योजना का शिलान्यास किया था. उन्होंने शिलान्यास समारोह में सांसद कीर्ति आजाद के समक्ष घोषणा की थी कि दो वर्षों के भीतर नये सिरे से शहर में जलापूर्ति शुरू की जायेगी.
कालांतर में जलापूर्ति योजना का प्राक्कलन बढ़ते-बढ़ते 30 करोड़ से अधिक हो गया. नगर निगम ने कार्यकारी एजेंसी पीएचइडी को अबतक 30 करोड़ रुपये उपलब्ध करा चुका है. लेकिन पीएचइडी द्वारा बनाये गये नौ जलापूर्ति केंद्रों में एक भी चालू नहीं हो सका है.

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