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या तो हम रहेंगे या फिर शराबखोरी करनेवाले : नीतीश

शराबबंदी से सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत, घर-घर में आने लगी है खुशहाली विनोद गिरि दरभंगा : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पूर्ण शराबबंदी से सूबे में सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत हुई है. इससे लोगों के स्वभाव, आचरण व व्यवहार में परिवर्तन आने लगा है, जो कल तक सारे पैसे शराब में खर्च कर देते […]

शराबबंदी से सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत, घर-घर में आने लगी है खुशहाली
विनोद गिरि
दरभंगा : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पूर्ण शराबबंदी से सूबे में सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत हुई है. इससे लोगों के स्वभाव, आचरण व व्यवहार में परिवर्तन आने लगा है, जो कल तक सारे पैसे शराब में खर्च कर देते थे, वे आज अपने बच्चों की जरूरतों पर ध्यान दे रहे हैं. पत्नी से अच्छा बरताव करने लगे हैं. शाम के बाद गांव-घरों में जो झगड़ा होता था, उसमें कमी आयी है.
चौक-चौराहों पर भी शांति है. यही स्थिति बनी रही, तो निश्चित रूप से एक दिन गांव व समाज में खुशहाली आ जायेगी. मुख्यमंत्री बुधवार को ग्रामीण विकास विभाग के जीविका की ओर से आयोजित अभिनंदन समारोह में बोल रहे थे. डीएमसीएच ऑडिटोरियम में हुए समारोह में सीएम ने कहा कि शराबबंदी से भले ही तत्काल सरकारी खजाने को पांच हजार करोड़ की क्षति हुई है, लेकिन आनेवाले समय में लोगों की खुशहाली से करोड़ों का राजस्व प्राप्त होगा. बचत होगी, तो खुशहाली आयेगी. पैसे बचेंगे, तो लोग टैक्स भी देंगे. नीतीश ने कहा कि या तो हम रहेंगे या फिर शराबखोरी करनेवाले रहेंगे. हमने न सिर्फ शराबबंदी की, बल्कि शराब बनानेवाले, बेचनेवाले व पीने व पिलानेवालों पर कठोर कार्रवाई के लिए कानून भी बनाया है. सिर्फ नीति ही नहीं बनायी, इसके लिए वातावरण का भी निर्माण किया.
1.19 करोड़ अभिभावकों से बच्चों ने शराब नहीं पीने व पिलाने का हस्ताक्षर करवाये. विशेष राज्य के दर्जे को लेकर महीनों तक हस्ताक्षर अभियान चलाया गया. 1.17 करोड़ हस्ताक्षर हुए थे. नौ लाख जगहों पर दीवार लेखन करवाया. 8500 जगहों पर हमने नुक्कड़ नाटक कराया. बिहार से पहले भी तीन राज्यों में शराबबंदी हुई, लेकिन वहां सफल नहीं हुई.
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का नाम लिये बगैर कहा कि एक राजनीतिक दल के नेता ताड़ी के नाम पर लोगों को भड़काना चाहते हैं. उन्हें मधुबनी की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से सीख लेनी चाहिए कि उन्होंने कैसे अपने घर के पुरुषों को शराब व ताड़ी को छोड़ दूसरा व्यवसाय करने को प्रेरित किया. शराबबंदी से सिर्फ महिलाएं ही खुश नही हैं, बल्कि पुरुष व बच्चे भी खुश हैं. अब तो पीनेवाले भी शराबबंदी की तारीफ कर रहे हैं.
समारोह को प्रभारी मंत्री सह नगर विकास एवं आवास मंत्री महेश्वर हजारी, वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्धिकी, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ मदन मोहन झा, खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री मदन सहनी, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, पुलिस महानिदेशक पीके ठाकुर ने भी संबोधित किया. स्वागत ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन दरभंगा प्रमंडल के आयुक्त आरके खंडेलवाल ने किया.
मौके पर गृह विभाग के प्रधान सचिव अमिर सुबहानी, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डीएस गंगवार, मुख्यमंत्री के सचिव चंचल कुमार, अतिश चंद्रा, मनीष वर्मा, जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी बाला मुरुगन डी, आइजी उमाशंकर सुधांशु, डीआइजी सुक्कन पासवान, तीनों जिलों के डीएम, एसएसपी समेत अन्य मौजूद थे. मुख्यमंत्री ने सीएम ऑर्ट कॉलेज में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र में भी भाग लिया. इसके अलावा प्रमंडल के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की और जन प्रतिनिधियों से भी मिल कर जानकारी ली.
जीविका की दीदी ने शुरू की थी मुहिम
मुख्यमंत्री ने कहा कि जीविका की दीदी ने ही शराबबंदी को लेकर मुहिम शुरू की, जो आज यह सफल हो सकी.उन्होंने कहा िक 2007 में हमने जीविका की शुरुआत की थी. 2020 तक 10 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन का लक्ष्य रखा. पांच लाख का गठन हो चुका है. इसके माध्यम से महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं. बचत की आदत उनमें पड़ी है. समारोह में जीविका के मनीगाछी बलौर की रामपरी देवी, राजनगर मधुबनी की पुनीता देवी व दरभंगा सदर के मुरिया की पिंकी देवी ने आपबीती सुनायी. सीएम ने पुनीता देवी को पुरस्कृत करने की घोषणा भी की, जिसने एक साल पहले अपने गांव की नौ शराब दुकानें बंद कराने में महती भूमिका निभायी.
गुमला में महिलाओं ने शराबबंदी के लिए घेरा उत्पाद िवभाग का दफ्तर
गुमला. झारखंड के गुमला व घाघरा प्रखंडों की 26 महिला मंडल समूह की महिलाओं ने बुधवार काे समाहरणालय स्थित उत्पाद विभाग के दफ्तर का घेराव किया. ये बिहार की तरह झारखंड में भी शराबबंदी की मांग कर रहे थे. उन्होंने चेतावनी दी िक शराबबंदी नहीं हुई, तो चरणबद्ध आंदोलन किया जायेगा.

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