साइलेंस जोन में वाहनों का शोरगुल

दरभंगाः डीएमसीएच को साइलेंस जोन में रखने का आदेश, एक सार्थक कवायद के अभाव में सड़कों पर अटक गया है. व्यवस्था को लागू करने के पीछे की कसरत कहीं दिख नहीं रही. नतीजा, डीएमसीएच परिसर का पूरा इलाका पूर्ववत चिल्ल-पो के शोर से कराहता दबा, पड़ा है. सड़कों पर साइलेंस जोन के आदेश का कहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 25, 2014 4:32 AM

दरभंगाः डीएमसीएच को साइलेंस जोन में रखने का आदेश, एक सार्थक कवायद के अभाव में सड़कों पर अटक गया है. व्यवस्था को लागू करने के पीछे की कसरत कहीं दिख नहीं रही. नतीजा, डीएमसीएच परिसर का पूरा इलाका पूर्ववत चिल्ल-पो के शोर से कराहता दबा, पड़ा है. सड़कों पर साइलेंस जोन के आदेश का कहीं कोई तामिला होता भी नजर नहीं आता. न रास्ते में कहीं पुलिस की निगहबानी. ना ही कहीं रोक-टोक. जो वाहन जैसे धुंआ छोड़ते, साइलेंसर से कर्कश ध्वनि निकालते फर्राटे से इस इलाके से गुजरते थे, आज भी उसी अंदाज उसी सलीके शोर-गुल करते गुजर,आ जा रहे हैं.

कर्पूरी चौक से लेकर नाका छह तक की सड़क का पैमाना इजाजत नहीं देता कि इस पूरे परिसर को साइलेंस जोन कहीं से कहा जाये. सुबह से रात भर अनवरत दौड़ती गाड़ियों, टेंपो, बाइक, ट्रैक्टरों की किच-किच मरीजों को शांत वातावरण में आराम करने देने को कतई तैयार नहीं. इन भागते, रेंगते वाहनों की कानफाड़ आवाज से मरीजों को राहत दिलायेगा कौन ? यह सवाल आज भी यथावत कायम है. व्यवस्था या यूं कहें तो पहल पुलिस प्रशासन की तरफ से हुई. मगर, डीएमसीएच प्रशासन फिलहाल इस ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ मुहिम चलाने के किसी पचड़े में पड़ने के मूड में नहीं है. वरीय अधिकारी साफ कहते हैं, 26 जनवरी के बाद देंखेगे. साठ के दशक से ही जब यहां विभिन्न वार्डे में मरीजों की लाइन लगनी शुरू हुई थी. यहां की सड़कों की रफ्तार पर ब्रेक लगाने की मांग विभिन्न संगठनों द्वारा उठती रही हैं. सड़क से सटे कई वाडरें में भरती मरीजों को इस तनाव का सामना, शोर से जूझना अरसे से पड़ता रहा है.

अललपट्टी से नाका 6 और इसके ईद-गिर्द कई नर्सिग होम भी हैं, . बावजूद कोई माकूब इलाज, इस ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ दमदार प्रयास, वाहनों की बैरिकेटिंग, व्यवसायिक चालकों पर कोई नियम कायदे के डंडे, कोई नकेल कसता, संयम से वाहन चलाने की कोई सीख, नसीहत कहीं कोई देता मिल नहीं रहा. वाहनों की लगातार बढ़ती दबिश, संख्या, तेज हॉर्न, जगह-जगह त्योहारों, उत्सवों पर कर्कस आवाज में बजते साउंड सिस्टम, कहीं डीजे की धमक, कहीं ठेलों पर गानों की तेज होती आवाजों के बीच सामान बेचने को हांक लगाते लोग मरीजों को बख्शने को कतई तैयार नहीं दिख रहे. पुलिस प्रशासन की कागजी कवायद गंभीर खासकर आइसीयू में भरती मरीजों को इसका तनिक लाभ देने को दिखायी नहीं देता. डीएमसीएच परिसर में दिन-रात सरपट गाड़ियां पूर्ववत दौड़ रहीं हैं. फुटपाथ के किनारे सब्जी व अन्य सामान बेचने वालों के कारण वाहनों के फंसने या फिर इमरजेंसी से सिटी स्कैन या अन्य जांच के लिए सड़कों पर निकले मरीजों के कारण जाम की समस्या पूर्ववत यहां कायम है.और जाम लगने का सीधा मतलब यहां गाड़ियों की फौज एक लाइन से हॉर्न की बोलती तूती. आज अललपट्टी के एक छोर से नाका छह तक में फैले डीएमसीएच परिसर हॉर्न जोन में जीने को विवश, लाचार है.

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