बैंक से लाठी के सहारे जाते बुजुर्ग.

दरभंगा : हसनचक रानी सती निवासी 77 वर्षीय बुजुर्ग रामनारायण साह अपने पाेते हर्ष कुमार के साथ कंपकंपाते पैर व थरथराते हाथ से लाठी लिये धीरे-धीरे बैंक पहुंचे. पांच सौ तथा हजार के नोट को बदलवाने वे लनामिवि पिरसर स्थित सेंट्रल बैंक तथा प्रधान डाकघर भी गये. दोनों जगह पैसा नहीं होने के कारण उन्हें […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 14, 2016 5:58 AM

दरभंगा : हसनचक रानी सती निवासी 77 वर्षीय बुजुर्ग रामनारायण साह अपने पाेते हर्ष कुमार के साथ कंपकंपाते पैर व थरथराते हाथ से लाठी लिये धीरे-धीरे बैंक पहुंचे. पांच सौ तथा हजार के नोट को बदलवाने वे लनामिवि पिरसर स्थित सेंट्रल बैंक तथा प्रधान डाकघर भी गये. दोनों जगह पैसा नहीं होने के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा.

श्री साह ने बताया कि पैसा बदलवाने के लिए दो रोज से आ रहा हूं. शनिवार को दोनों जगह भीड़ अधिक होने के कारण लौट गया. शरीर में इतनी ताकत नहीं रही कि लाइन में खड़ा हो सकूं. सोचकर आया था कि आज काम बन जायेगा. दोनों जगह यह कहकर लौटा दिया कि वैन किये गये नोटों को बदलने के लिए पैसे नहीं है. सेंट्रल बैंक के प्रबंधक का कहना है कि दो-तीन दिनों का वक्त पैसा आने में लगेगा, तब पैसा बदलना संभव हो सकेगा. डाकघर में भी यही हाल है. दोनों जगह पैसा नहीं होने का नोटिस चिपका दिया गया है. बुजुर्गों की समस्या कम करने के बजाय बढ़ाने का काम किया जा रहा है. पैसा है पर खर्च नहीं कर सकता. जरूरत का सामान लेने में दिक्कतें हो रही है.

खास तौर पर दवा-दारू की समस्या हो रही है. काला धन पर नकेल कसने के लिए सरकार ने बहुत ही अच्छा कदम उठाया है. इससे खुश हूं, लेकिन पैसा बदलने की व्यवस्था से दुखी हूं. तैयारी आधी-अधूरी की गयी. पर्याप्त पैसा उपलब्ध होता तो आज वापस नहीं जाना पड़ता. एटीएम करीब-करीब काम नहीं कर रहा. जो कर भी रहा है, वहां भी अधिक भीड़ के कारण बुजुर्ग जाने की हिम्मत नहीं कर सकते. बुजुर्गों के लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए.

Next Article

Exit mobile version