यहां हर तरफ बिखरा पड़ा है मौत का सामान

बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण की नहीं है व्यवस्था दरभंगा : उत्तर बिहार का चिकित्सा हब कहे जाने वाले दरभंगा के शहरी क्षेत्र में हर कदम पर बायोमेडिकल वेस्ट के रूप में मौत का सामान बिखड़ा पड़ा है. डीएमसीएच समेत तमाम नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथो लैब से निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट के चारो तरफ फैले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 20, 2017 9:31 AM
बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण की नहीं है व्यवस्था
दरभंगा : उत्तर बिहार का चिकित्सा हब कहे जाने वाले दरभंगा के शहरी क्षेत्र में हर कदम पर बायोमेडिकल वेस्ट के रूप में मौत का सामान बिखड़ा पड़ा है. डीएमसीएच समेत तमाम नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथो लैब से निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट के चारो तरफ फैले होने के कारण नदी, तालाब से लेकर वातावरण तक प्रदूषित हो रहा है.
इससे मनुष्य से लेकर पशु व जलीय जीव तो को नुकसान पहुंच रहा है. लेकिन यहां इसके निस्तारण की कोई सुविधा नहीं है. हालांकि डीएमसीएच में इसके निस्तारण के लिए वर्षों पहले लाखों रुपये की लागत से दो इंसिनिरेटर लगाया गया था. इसमें एक इंसिनिरेटर का तो अब पता भी नहीं है. वहीं सर्जिकल भवन परिसर में लगा इंसिनिरेटर का लंबा पाइप अब तक हाथी का दांत ही साबित हुआ है. आज तक इसमें एक किलो भी बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण नहीं हो पाया. इसके कारण डीएमसीएच से निकलने वाले इस कचरे के निस्तारण के लिए मुजफ्फरपुर के एक एजेंसी को लाखों रुपये भुगतान करने पड़ते हैं.
महज एक दर्जन नर्सिंग होम कर रहे बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण. डीएमसीएच, पीएचसी के अलावा महज एक दर्जन नर्सिंग होम में ही बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण की व्यवस्था है. मुजफ्फरपुर के एक एजेंसी प्रतिदिन इस कचरे को ले जाने यहां आती है. इन्हें नर्सिंग होम से बायोमेडिकल वेस्ट तो मिल जाता है. लेकिन डीएमसीएच में कचरा को एकत्रित नहीं रखने के कारण गाड़ी थोड़े से कचरे लेकर लौट जाती है.
लाखों रुपये भुगतान करने के बाद भी डीएमसीएच में पसरा है वेस्ट. डीएमसीएच में दो-दो इंसिनिरेटर होने के बाद भी यहां से बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं. बावजूद परिसर में चारों तरफ बायोमेडिकल वेस्ट फैला पड़ा है. बताया जाता है कि सफाई कर्मचारी बायोमेडिकल वेस्ट को भी सामान्य कचरे के साथ फेंक दिया जाता है.
नगर निगम के नोटिस से भी नहीं पड़ रहा फर्क. बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए नगर आयुक्त ने शहर के नर्सिंग होम को कई पत्र दिए हैं. पत्र में कार्रवाई की भी धमकी दी गई है. बावजूद बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण की व्यवस्था नहीं की गई. नगर आयुक्त ने भवानी सर्जिकल संस्थान, मिथिला स्वास्थ्य सदन बेता, डॉ. रमण कुमार झा हनुमान मंदिर के समीप, डॉ. यूसी झा, एएम मेमोरियल हॉस्पीटल, आरबी मेमोरियल समेत 45 नर्सिंग होम व क्लिनक के संचालकों को नोटिस दिया है.
क्या है बायोमेडिकल वेस्ट
निडिल, सिरिंच, ऑपरेशन के बाद मनुष्य के शरीर से निकलने वाले गंदगी, काटे गये अंग आदि को बायोमेडिकल वेस्ट कहा जाता है. एड‍्स व हेपेटाइटिस मरीज को दिए जाने वाले सूई के फेके होने पर किसी को चुभ जाए तो इससे वह भी पीड़ित हो जाएगा. वहीं इस तरह के किसी भी बायोमेडिकल वेस्ट को नदी, नाले व पोखरे में फेंक दिया जाए तो इससे पानी भी प्रदूषित हो जाता है. साथ ही इससे निकलने वाले प्रदूषण से चर्म रोग आदि बीमारी से भी ग्रसित होना पड़ता है. वहीं इलाज में एंटीबायोटिक का भी प्रभाव नहीं होता है.

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