पूर्व वीसी पर लटकी कार्रवाई की तलवार

दरभंगा : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. देवनारायण झा को कुलपति का पदनाम लगाना भारी पड़ सकता है. 19 जनवरी को कुलसचिव को संबोधित एक पत्र में डॉ. झा ने अपने नाम के साथ कुलपति शब्द का इस्तेमाल किया है. जबकि 18 जनवरी को राज्यपाल सचिवालय के संयुक्त सचिव विजय कुमार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 23, 2017 4:38 AM

दरभंगा : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. देवनारायण झा को कुलपति का पदनाम लगाना भारी पड़ सकता है. 19 जनवरी को कुलसचिव को संबोधित एक पत्र में डॉ. झा ने अपने नाम के साथ कुलपति शब्द का इस्तेमाल किया है. जबकि 18 जनवरी को राज्यपाल सचिवालय के संयुक्त सचिव विजय कुमार ने डॉ.

झा को संबोधित पत्र में उनके लिए पूर्व कुलपति का उपयोग किया है. डॉ. झा वर्तमान में संस्कृत विवि के साहित्य विभाग में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं. विवि सूत्रों के अनुसार अगले कुछ दिनों में उन पर अनुशासनिक कार्रवाई हो सकती है. इस मामले में विधि सलाहकार पवन कुमार चौधरी से विवि ने मंत्रणा भी की है. बता दें कि प्रोफेसर के पद पर डॉ. झा का सेवाकाल 31 जनवरी को पूरा हो रहा है.

पद से हटाये जाने के बाद उच्च न्यायालय गये थे डॉ. झा. 10 अगस्त 2016 को कुलाधिपति द्वारा कुलपति पद से हटाये जाने के बाद डॉ. झा उच्च न्यायालय चले गये थे. 17 जनवरी को उच्च न्यायालय पटना ने कुलपति के पद से हटाये जाने संबंधी कुलाधिपति के आदेश को निरस्त कर दिया. डॉ. झा उसी रात करीब 11 बजे विवि मुख्यालय कार्यभार लेने पहुंच गये थे. कुलपति सचिवालय बंद रहने से वे काफी नाराज थे.
राजभवन नहीं मान रहा कुलपति.
उधर 18 जनवरी को राज्यपाल सचिवालय के संयुक्त सचिव विजय कुमार ने डॉ. झा को पूर्व कुलपति संबोधित करते हुए उन्हें पत्र लिखकर उच्च न्यायालय पटना द्वारा सीडब्ल्यूजेसी -14267/2016 में 17 जनवरी को पारित आदेश की प्रति उपलब्ध कराने को कहा है, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके. इस तरह राज्यपाल सचिवालय जहां उन्हें पूर्व कुलपति मान रहा है, वहीं वे खुद को कुलपति बता रहे हैं.
विवि प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया है. पदनाम का दुरुपयोग करने को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया प्रारंभ होने की बात कही जा रही है.
राजभवन ने पूर्व कुलपति कह कर किया संबोधित
विवि अपने स्तर से कर रही कार्रवाई की तैयारी
अपने को कुलपति बता कुलसचिव को लिखा पत्र
19 जनवरी की शाम 4.15 बजे डॉ. झा ने कुलपति कार्यालय खोलने के संबंध में कुलसचिव को एक पत्र दिया था. पत्र उनके नाम के संस्कृत विवि के कुलपति के लेटर पैड पर था. साथ ही पत्र के नीचे हस्ताक्षर के साथ भी कुलपति अंकित किया गया था. पत्र में उन्होंने लिखा था कि न्यायादेश के आलोक में प्रतिकुलपति को दिया गया कुलपति का प्रभार स्वत: निरस्त हो जाता है. ऐसी स्थिति में कुलपति कार्यालय को बंद रखना और कुलपति को कार्यालय से बाहर रखना न्यायादेश के प्रतिकूल है. उन्होंने कुलसचिव से कार्यालय खुलवाने को कहा था ताकि वे वैधानिक रूप से कुलपति का कार्य संपादित कर सकें.

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