बिहार : 63 वर्ष पुराने एक दिवानी मामले का कोर्ट ने किया निष्पादन, पढ़ें…क्या था मामला

दरभंगा: भारत की अदालतों में रिकॉर्ड संख्या में लंबित मामलों और सालों तक घिसटने वाले मुकदमों के बोझ को लेकर अनेक मंचों से समय-समय पर चिंता जाहिर की जाती रही है. इनमें से कुछ मामले तो आधी सदी से भी ज्यादा पुराने हैं. इसी तरह का एक मामला बिहार के दरभंगासे प्रकाश में आया है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 4, 2017 10:36 PM

दरभंगा: भारत की अदालतों में रिकॉर्ड संख्या में लंबित मामलों और सालों तक घिसटने वाले मुकदमों के बोझ को लेकर अनेक मंचों से समय-समय पर चिंता जाहिर की जाती रही है. इनमें से कुछ मामले तो आधी सदी से भी ज्यादा पुराने हैं. इसी तरह का एक मामला बिहार के दरभंगासे प्रकाश में आया है. जहां दरभंगा व्यवहार न्यायालय के पंचम अवर न्यायाधीश राजेश कुमार द्विवेदी की अदालत ने 63 वर्षों से चल रहे एक दिवानी मामला का निष्पादन किया.

अदालत ने बंटवारावाद संख्या 81/54 को निष्पादित किया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार तत्कालीन दरभंगा जिला एवमं वर्तमान मधुबनी जिला के मधवापुर थाना अंतर्गत बैंगरा गांव के राम रीझन ठाकुर और परमेश्वर चौधरी उर्फ परमहंस चौधरीवगैरह के बीच बंटवारा वाद 1954 से चल रही थी. इसी मामले में पक्षकारों ने पटना हाइकोर्ट में प्रथम अपील वर्ष 1969 में दाखिल किया था. जिसमें पटना हाई हाईकोर्ट में 10 दिसंबर 1987 को निर्णय हुई. इसके बाद से पझकारों ने अवर न्यायाधीश की अदालत में चल रहे पट्टी बंदी वाद में समुचित पैरवी करना छोड़ दिया. पक्षकारों द्वारा मामले में पैरवी नहीं करने के कारण अदालत ने मामले को निष्पादित कर दिया.

मालूमहाे कि दो अप्रैल को इलाहाबाद हाई कोर्ट की 150वीं सालगिरह के मौके परप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगीमें चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने जजों की कमी पर चिंता जताते हुए कहा था कि हाई कोर्ट और निचली अदालतों के जजों पर भारी बोझ है.इसदौरान जस्टिस खेहर ने कोर्ट में लंबित मामलों पर भी चिंता जाहिरकरते हुए कहा था कि पीएम मोदी मन की बात करते हैं, देश सुनता है. अब मुझे मेरे दिल की बात करने दें. चीफ जस्टिस ने लंबे समय से लंबित पड़े मामलों से निपटने के लिए जजों को छुट्टी में भी मामले निपटाने के लिए कहा.

Next Article

Exit mobile version