डीएमसीएच में दवा का अभाव, मरीज बदहाल
परेशानी. आउटडोर में 65 की जगह 31 दवाएं उपलब्ध, घंटों लाइन में खड़े होने के बाद भी दवा नहीं मिलने से मरीज मायूस दरभंगा : सरकार के लाख घोषणा के बाद भी स्वास्थ्य विभाग सुधरने का नाम नहीं ले रही है. सरकार ने घोषणा कर रखी है कि सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों को […]
परेशानी. आउटडोर में 65 की जगह 31 दवाएं उपलब्ध, घंटों लाइन में खड़े होने के बाद भी दवा नहीं मिलने से मरीज मायूस
दरभंगा : सरकार के लाख घोषणा के बाद भी स्वास्थ्य विभाग सुधरने का नाम नहीं ले रही है. सरकार ने घोषणा कर रखी है कि सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों को मुफ्त में जांच के साथ सभी दवाएं उपलब्घ करायी जायेगी. लेकिन इसके इतर उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल डीएमसीएच में मरीजों
को मायूसी का ही सामना करना
पड़ता है. यहां आने वाले मरीजों को आधे से अधिक दवा बाहर से खरीदने पड़ते हैं.
सोमवार को प्रभात खबर की टीम डीएमसीएच के आउटडोर की पड़ताल की. सुबह नौ बजे मरीजों का तांता लगा हुआ था. मरीज के परिजन लाइन में खड़े होकर पर्ची कटा रहे थे. संबंधित विभाग में चिकित्सकों ने स्वास्थ्य परीक्षण के बाद मरीजों को दवा लिख दिये. इसके बाद मरीज के परिजन दवा काउंटर पर लाइन लगाकर खड़े हुये. घंटो लाइन में लगने के बाद जब मरीज के परिजन दवा काउंटर पर पहुंचे तो उन्हें मायूसी ही हाथ लग रही थी. अधिकांश मरीजों ने बताया कि उन्हें पांच में से एक या दो दवा मिली. बांकी दवा के बारे में पूछने पर बताया गया कि अस्पताल में यह दवा उपलब्ध नहीं है.
मरीजों को दी जाती है उपलब्घ दवा : आउटडोर के दवा काउंटर पर पूछने पर बताया गया कि जो दवा उपलब्घ है मरीजों को दी जाती है. नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पर्ची पर आधे से अधिक दवा बाहर की लिखी रहती है. जबकि बाहर की जो दवाएं लिखी रहती है उसमें से उस कंपोजिशन के अधिकांश
दवाएं उपलब्घ है. उनकी मजबूरी है
कि चिकित्सक द्वारा जो दवा लिखा जायेगा उसमें से उपलब्ध दवा ही वह मरीज को देंगे. बांकी दवा वे नहीं दे सकते हैं.