आधी नींद में खाली पेट स्कूल जा रहे मासूम बच्चे, भीषण गर्मी के हो रहे शिकार
निजी विद्यालयों में गर्मी की छुट्टी हो गयी है. जबकि सरकारी स्कूलों में इस भीषण गर्मी में पढ़ाई जारी है.
दरभंगा. निजी विद्यालयों में गर्मी की छुट्टी हो गयी है. जबकि सरकारी स्कूलों में इस भीषण गर्मी में पढ़ाई जारी है. बच्चों सुबह छह बजे तक स्कूल जाना तथा बीच दोपहरी में 12 बजे वापस घर लौटना पड़ रहा है. उन्हें अहले सुबह जागना पड़ता है. देर रात सोने तथा अहले सुबह उठा दिये जाने के कारण बच्चों की नींद पूरी नहीं हो पा रही. अधिकांश बच्चे उनींद स्थिति में सुबह में स्कूल जाते दिखते हैं. सुबह सबेरे अधिकांश नाश्ता नहीं कर पाते. भूखे पेट भीषण गर्मी में स्कूल जाने के कारण बच्चों के बीमार पड़ने का क्रम जारी हो गया है. शिशु रोग विशेषज्ञ इस दिनचर्या को बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नुकसान देह बता रहे हैं. कई बच्चे स्कूल में बेहोश तक हो जा रहे हैं. उल्टी- दस्त, कमजोरी व बुखार की समस्या उन्हें घेर रही है. जानकारी के अनुसार शिशु रोग विशेषज्ञों के क्लिनिकों में इन दिनों बीमार बच्चों की संख्या बढ़ गयी है. तेज तापमान में देर तक खाली पेट रहने से बीमार हो रहे बच्चे शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ सूरज, डॉ विनोद कुमार सिंह, डॉ संजय वर्मा, डॉ फिरोज आलम का कहना है कि ओपीडी में 40 प्रतिशत बच्चे सर्दी- खांसी व बुखार की समस्याओं से जुड़े आ रहे हैं. 50 से 60 प्रतिशत उल्टी- डायरिया की शिकायत लेकर पहुंचते हैं. प्रतिदिन 05 से 06 बच्चे तेज बुखार के लक्षण लेकर आते हैं. बताया कि तेज तापमान में बच्चों के देर तक खाली पेट रहने, पानी का कम सेवन आदि उन्हें बीमार बना रहा है. अहले सुबह बच्चे कुछ खाना नहीं चाहते, खाली पेट चले जाते स्कूल अभिभावक मोहन पंडित, रघुवंश सिंह, कीर्ति सिंह, मोनी कुमारी, नीरज कुमार पाठक आदि का कहना है कि अहले सुबह बच्चे कुछ खाना नहीं चाहते. अधिकांश सरकारी स्कूलों में पंखे तक की व्यवस्था नहीं है. दोपहरी में धूप झेलकर घर पहुंचने पर बच्चे हाथ मुंह धोए बिना पंखा, कूलर के सामने बैठ जाते हैं. रेफ्रिजरेटर से ठंडा पानी निकाल कर पी लेते हैं. इससे शरीर तापांतर को संतुलित नहीं कर पाता और बच्चे बीमार पड़ जाते हैं. छोटे-छोटे बच्चों को हो रही परेशानी मध्य विद्यालय के सेवानिवृत शिक्षक अशोक मंडल का कहना है कि सबसे अधिक दिक्कत छोटे-छोटे बच्चों को हो रही है. बीच दोपहर में 12 बजे स्कूल में छुट्टी कर दी जा रही है. यह आदेश अव्यवहारिक है. पूर्व के वर्षों में स्कूल सुबह 6.30 बजे शुरू से 11.30 बजे तक संचालित होते रहे हैं. इससे धूप तेज होने से पहले बच्चे और शिक्षक घर लौट जाते थे. दोपहर 12 बजे स्कूलों की छुट्टी करने का कोई मतलब नहीं है. उच्च विद्यालय से सेवानिवृत शिक्षक विनोद मिश्र, विश्व भारती, प्रेम प्रकाश, इस्लाम आदि ने कहा कि पहले सुबह सात से क्लास शरू होकर 11.30 बजे तक चलती थी. दोपहर में तीखी धूप होने से पहले ही बच्चे घर पहुंच जाते थे. चिड़चिड़ा हो जायेगा बच्चों का स्वभाव डॉ मुजाहिद अंसारी, डॉ बछेंद्री मिश्रा, डॉ बालेश्वर प्रसाद, आदि ने कहा कि प्रतिदिन सुबह तीन से चार बजे उठना बच्चों के स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं है. जीवन शैली में काफी बदलाव आया है. अब देर रात में लोग सोते हैं. ऐसे में सुबह चार बजे जगना और तैयार होकर सुबह पांच बजे तक घर से निकल जाना कठिन है. ऐसे में बच्चों की नींद पूरी नहीं हो पा रही. जब बच्चों को नींद पूरी नहीं होगी तो वे स्कूल में तनाव में रहेंगे. उनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जायेगा. सुबह पांच बजे बच्चे ठीक से नाश्ता भी नहीं कर पाएंगे.
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