अलीनगर. अंटौर में बराती की आतिशबाजी से सबसे पहले बरातियों के स्वागत के लिए बने पंडाल में आग लग गयी. इसके बाद उसके ठीक पीछे बने रामचंद्र पासवान के घर को अपनी आगोश में ले लिया. बता दें कि रामचंद्र पंडाल का कामकाज भी करते हैं. उनका ही पंडाल इस विवाह में भी लगा था. घर में पंडाल के और सामान पड़े थे. रामचंद्र का एक घर ईंट का था जिस पर एस्बेटस चढ़ा था. उसी के सामने लंबा सा फूस का घर था. घर के भीतर गैस सिलिंडर था. आग फूस के घर को जलाने के बाद एस्बेस्टस वाले मकान में भी फैल गयी. इधर बाहर में डीजे का शोर था. उस शोर में कुछ सुनाई नहीं दे रहा था. प्रत्यक्षदर्शियों का कहाना है कि विवाह को लेकर बिजली-बत्ती से सजावट की गयी थी. उसकी रोशनी फैल रही थी. इस राेशनी की वजह से आग की उठ रही लटप की ओर शुरूआत में कम लोगों का ध्यान गया. जब आग पूरी तरह बेकाबू हो गयी तब जाकर सभी लोग दौड़े. इधर, कहा जाता है कि आग लगने की जानकारी होते ही रामचंद्र का पुत्र घर में सो रही पत्नी व अपने दो बच्चों के साथ विवाहिता बहन व उसके तीन बच्चों को बचाने के लिए जान की परवाह किये बगैर घर के अंदर प्रवेश कर गया. इसी बीच उसकी चचेरी बहन रंजन कुमार सुनील के दोनों बच्चे को लेकर बाहर की ओर भाग निकली, जिससे उन दोनों की जान बच गयी. इसी बीच जब सुनील सबको लेकर निकलने का यत्न करता, सामने का छप्पर भर-भराकर गिर गया. आग और भड़क गयी. रास्ता बंद हो गया. ये लोग चारों तरफ से आग से घिर चुके थे. लाख कोशिश के बावजूद ये लोग नहीं निकल सके और जिंदा जलकर सभी की मौत हो गयी.
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