आलोचना को सिर्फ साहित्य नहीं समाज से जोड़ कर देखते थे चाैथीराम
प्रो. उमेश कुमार की अध्यक्षता में सुप्रसिद्ध आलोचक प्रो. चौथीराम यादव की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा हुई.
दरभंगा. लनामिवि के पीजी हिंदी विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो. उमेश कुमार की अध्यक्षता में सुप्रसिद्ध आलोचक प्रो. चौथीराम यादव की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा हुई. हिंदी साहित्य के जाने माने आलोचक एवं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. चौथीराम यादव का का बनारस स्थित आवास पर निधन हो गया. वे 83 वर्ष के थे. हिन्दी आलोचना के प्रख्यात साहित्यकार डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी के अंतिम शिष्य प्रो. यादव की कबीर, छायावाद और दलित साहित्य में गहरी रुचि थी. जैनपुर के छोटे से गांव से निकल कर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय तक वे पहुंचे. उनकी शिक्षा भी वहीं हुई. कबीर पर सब से अलग हटकर प्रस्तुत की आलोचना- प्रो. उमेश विभागाध्यक्ष प्रो. कुमार ने कहा कि प्रो. चौथीराम आलोचना को नए ढंग से प्रस्तुत करते थे. वे आलोचना को सिर्फ साहित्य ही नहीं, समाज से जोड़ कर देखते थे. कबीर पर उन्होंने सब से अलग हटकर अपनी आलोचना प्रस्तुत की है. डॉ सुरेंद्र प्रसाद सुमन ने कहा कि मौजूदा दौर में प्रो. यादव का गुजर जाना साहित्य और संस्कृति जगत पर बज्र प्रहार है. कलम पकड़ कर गुजर जाने वाले योद्धाओं में आलोचक प्रो. यादव थे. कहा कि वे जनता और जनान्दोलनों के प्रतिबद्ध आलोचक थे. संचालन आनंद प्रकाश गुप्ता ने किया. मौके पर डॉ मंजरी खरे, डॉ गजेंद्र भारद्वाज, कनीय शोधप्रज्ञ दुर्गानंद ठाकुर, रोहित कुमार, अमित कुमार, सुभद्रा कुमारी, बेबी कुमारी, रूबी कुमारी, कंचन कुमारी आदि मौजूद थे. दो मिनट मौन धारण कर सभी ने प्रो. चौथीराम यादव को श्रद्धांजलि दी.
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