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Darbhanga News: डिग्री की परीक्षा में स्कूली शिक्षकों का प्रतिनियोजन कराने वाले प्रधानाचार्यों पर होगी कार्रवाई

Darbhanga News:लनामिवि की ओर से आयोजित डिग्री पार्ट वन एवं स्नातक द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा में विवि प्रशासन की अनुमति लिये बिना वीक्षक की कमी बताकर जिलाधिकारी से मांग किये जाने के मामले में संबंधित कॉलेजों के प्रधानाचार्य पर गाज गिरने की संभावना जताई जा रही है.

Darbhanga News:दरभंगा. लनामिवि की ओर से आयोजित डिग्री पार्ट वन एवं स्नातक द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा में विवि प्रशासन की अनुमति लिये बिना वीक्षक की कमी बताकर जिलाधिकारी से मांग किये जाने के मामले में संबंधित कॉलेजों के प्रधानाचार्य पर गाज गिरने की संभावना जताई जा रही है. बताया जाता है कि जिन अंगीभूत व संबद्ध कॉलेजों ने यह काम किया है, उन्हें विश्वविद्यालय प्रशासन छोड़ने नहीं जा रहा है. मामला कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी के संज्ञान में दे दिया गया है. जानकारी के अनुसार दरभंगा में महारानी कल्याणी कॉलेज लहेरियासराय, महात्मा गांधी कॉलेज सुंदरपुर, नागेंद्र झा महिला कॉलेज लहेरियासराय, एमएमटीएम कॉलेज, दरभंगा, मधुबनी में बीएम कॉलेज रहिका सहित अन्य जिले के आधा दर्जन से अधिक कॉलेजों के केंद्राधीक्षकों ने परीक्षा में वीक्षकों की कमी बताकर संबंधित जिले के डीएम व जिला शिक्षा पदाधिकारी से बिना विवि को सूचना दिये स्कूली शिक्षकों को प्रतिनियुक्त करा लिया. लनामिवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. विनोद कुमार ओझा का कहना है कि दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर एवं बेगूसराय जिले के कौन-काैन कॉलेज कितने छात्रों की परीक्षा लेने मे सक्षम है, इसकी जानकारी विवि को है. उसी क्षमता के अनुरूप केंद्र को छात्र आवंटित किया गया है. बावजूद प्रधानाचार्य सह केंद्राधीक्षकों को अगर कोई कठिनाई थी, तो उन्हें इसकी सूचना पहले विवि प्रशासन को देनी चाहिए थी. विवि प्रशासन अपने स्तर से इसका समाधान करता. विवि को सूचित किये बिना विवि स्तरीय परीक्षा के लिये सीधे जिला प्रशासन से वीक्षक उपलब्ध कराने की मांग करना, विश्वविद्यालीय परीक्षा नियमावली के प्रावधान के विपरीत है. बताया कि इसे कुलपति के संज्ञान में दे दिया गया है. कुलपति से निर्देश मिलते ही संबंधित प्रधानाचार्यो के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी. उधर, कॉलेजों से मिलीभगत कर जुगाड़ टेक्नोलॉजी के माध्यम से प्रतिनियुक्ति करवाने वाले स्कूली शिक्षकों के मामले में यहां के शिक्षा विभाग ने गलती सुधार ली है. मामला प्रकाश में आते ही 28 सितंबर की देर इनका प्रतिनियोजन तोड़ दिया गया. उधर, विधायक संजय सरावगी ने बताया कि नियम विरुद्ध स्कूली शिक्षकों को विश्वविद्यालीय परीक्षा के लिए कॉलेजों में प्रतिनियोजन हास्यास्पद है.

प्रतिनियुक्त स्कूली शिक्षकों से नहीं ली गयी ड्यूटी

बताया जाता है कि प्रतिनियुक्त स्कूली शिक्षकों से परीक्षा केंद्रों पर ड्यूटी नहीं ली गयी है. योगदान कराकर उन्हें कॉलेज आने से छूट दे दी गयी थी. स्कूली शिक्षकों में से किसी ने 27 तो किसी ने 28 सितंबर को संबंधित परीक्षा केंद्र पर योगदान दिया था. सेंटरों पर प्रतिनियुक्ति के बावजूद स्कूली शिक्षकों से वीक्षक का कार्य नहीं लेना, अलग से जांच का विषय है. जब स्कूली शिक्षकों से परीक्षा ड्यूटी लेना ही नहीं था, तो आखिर केंद्राधीक्षकों ने जिला प्रशासन से वीक्षकों की मांग क्यों की? इसके पीछे उनकी कौन सी मजबूरी या स्वार्थ था?

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