Loading election data...

Darbhanga News: जिंदगी के सफर में हमराही रही आनंदी ने शव यात्रा तक नहीं छोड़ा पति का साथ

Darbhanga News:जिंदगी साथ जीया और जब दुनिया को विदा होने की बारी आयी तो 91 वर्षीय नंददेव दास उर्फ नंददेव पासवान के चंद पल बाद ही पत्नी आनंदी देवी ने भी हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया.

By Prabhat Khabar News Desk | October 22, 2024 10:10 PM

Darbhanga News: नवेन्दु/मुन्ना चौधरी, बिरौल. साथ जीने-मरने की कसम खाने वालों को तो आपने बहुत देखा होगा, लेकिन इसे चरितार्थ करनेवाले बिरले ही मिले होंगे. ऐसी बिरले लोगों की फेहरिस्त में फकिरना गांव के एक वयोवृद्ध दंपती ने अपना नाम शामिल करा लिया है. जिंदगी साथ जीया और जब दुनिया को विदा होने की बारी आयी तो 91 वर्षीय नंददेव दास उर्फ नंददेव पासवान के चंद पल बाद ही पत्नी आनंदी देवी ने भी हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया. विवाह के मंडप पर जिस पति का हाथ थामा था, उसे चिता तक पर नहीं छोड़ा. जिंदगी के सफर में पति की हमराही रही आनंदी शव यात्रा तक में साथ रही. यह इलाके में चर्चा का विषय बना है. दरअसल मंगलवार को फकिराना गांव में प्रेम व समर्पण की मिसाल बनकर एक दिल छू लेने वाली घटना सामने आयी. इस गांव में नंददेव दास उर्फ नंद देव पासवान के निधन के कुछ ही घंटे के अंतराल पर पत्नी आनंदी देवी ने भी दम तोड़ दिया. दोनों के बीच के प्रेम के अटूट बंधन ने क्षेत्रवासियों को भावुक कर दिया है. जानकारी के अनुसार नंददेव दास का निधन मंगलवार की सुबह हो गयी. अभी पति का शव दरवाजे से उठा भी नहीं था कि पत्नी उनके पार्थिव शरीर के पास विलाप करती हुई अचानक अचेत हो गयी. लोगों ने उन्हें हिलाकर देखा तो मृत पाया. यह देख गांव के लोग स्तब्ध रह गए. दोनों के शव को एक साथ घर से निकाला गया. कबीरपंथी रिवाजों के अनुसार एक ही चिता पर दोनों का अंतिम संस्कार किया गया. नंददेव दास कबीरपंथी विचारधारा के अनुयायी थे. वे संत सम्मेलनों में नियमित रूप से भाग लेते थे. वे न सिर्फ अपने धार्मिक व सामाजिक कर्तव्यों के लिए जाने जाते थे, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी गहरी रुचि रखते थे. 15 वर्ष पहले उन्होंने काली स्थान व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर छायादार पेड़ लगाए थे, जो आज लोगों को राहत व जीवन प्रदान कर रही हैं. दोनों पति-पत्नी पिछले डेढ़ महीने से बीमार चल रहे थे. बड़ी संख्या में उनके पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए लोग पहुंचे. एक ही चिता पर अंतिम संस्कार होना गांव में चर्चा का विषय बन गया है. लोगों का मानना है कि यह घटना जीवन में प्रेम एवं साथ की ताकत को दर्शाती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version