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Darbhanga News: दरभंगा एयरपोर्ट पर 49.02 करोड़ की लागत से बनेगा एप्रन व टू लिंक टैक्सीवेज

Darbhanga News:दरभंगा हवाई अड्डा पर 49.02 करोड़ रुपये की लागत से एप्रन एवं टू लिंक टेक्सीवेज का निर्माण होगा.

Darbhanga News: अजय कुमार मिश्रा, दरभंगा. दरभंगा हवाई अड्डा पर 49.02 करोड़ रुपये की लागत से एप्रन एवं टू लिंक टेक्सीवेज का निर्माण होगा. नये टर्मिनल पर एयरसाइड इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जायेगा. इसे लेकर एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (एएआइ) ने छह दिसंबर को टेंडर निकाल दिया है. निविदा के मुताबिक संवेदक को कार्य पूरा करने के लिये एक साल का समय दिया जायेगा. बता दें कि 54 एकड़ भूमि पर नये सिविल एन्क्लेव का निर्माण किया जाना है. बताया गया है कि निविदा की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही काम प्रारंभ हो जायेगा. एप्रन बन जाने से विमान का समय से बेहतर संचालन किया जा सकेगा. एक बार में सात जहाज के ठहराव की व्यवस्था होगी.

की- प्लान के तहत होगा 54 एकड़ जमीन पर काम

एएआइ ने 54 एकड़ भूमि के लिये की- प्लान बनाया है. इसके तहत विभिन्न संरचनाओं को पूरा किया जाना है. इसमें टर्मिनल बिल्डिंग, एप्रन सहित सीटी साइड रोड, एराइवल प्लाजा, कार पार्किंग, अंडरग्राउंड वाटर टैंक, एएआइ साइट ऑफिस, मेन एंट्री, स्टाफ एंट्री, वीआइपी कार पार्किंग, चेक पोस्ट, कार्गो टर्मिनल (फेज टू), एरिया ऑफ फ्यूचर एप्रन, एडमिन ब्लॉक आदि कार्य होगा.

3.41 लाख रुपये खर्च कर करायी गयी मिट्टी जांच

एप्रन, टैक्सीवेज व अन्य कार्य से पहले संबंधित स्थल की मिट्टी जांच करायी गयी है. इसे लेकर पिछले साल 12 दिसंबर को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से निविदा निकाली गयी थी. इस कार्य के लिये 3.41 लाख का फंड अलॉट किया गया था. कार्य पूरा करने के लिये 25 दिन का समय दिया गया था.

क्या होता है एयर साइड एरिया

हवाई अड्डे का एयरसाइड वह क्षेत्र है, जिसमें रनवे, टैक्सीवेज, रैम्प और आस-पास का भूभाग शामिल होता है. एयर साइड एरिया का उपयोग विमानों के संचालन के लिये किया जाता है. एयर साइड में एयरपोर्ट की इमारतों वाला सुरक्षित क्षेत्र भी शामिल होता है. एयर साइड आमजनों के लिये प्रतिबंधित क्षेत्र होता है. सुरक्षा चौकियों से गुजरने के बाद ही इसमें प्रवेश की अनुमति है.

रनवे को एप्रन, हैंगर व टर्मिनल से जोड़ता है टैक्सीवेज

टैक्सीवेज हवाइ अड्डे पर विमानों के लिए एक रास्ता है, जो रन-वे को एप्रन, हैंगर, टर्मिनल और अन्य सुविधाओं से जोड़ता है. व्यस्त हवाइ अड्डों पर आमतौर पर हाइ-स्पीड या रैपिड-एग्जिट टैक्सीवेज बनाए जाते हैं, ताकि विमान अधिक गति से रनवे से बाहर निकल सके. टैक्सीवेज की सुविधा होने से विमानों को रनवे से जल्दी निकलने में मदद मिलती है. इससे दूसरे विमान को कम समय में उतरने या उड़ान भरने में मदद मिल जाती है.

विमानों को सुरक्षित रखने के लिए होता हैंगर

हवाई अड्डा पर विमानों को रखने और उसकी सुरक्षा के लिए बंद संरचनाएं का निर्माण किया जाता है. विमानों को बाहरी मौसम से हैंगर बचाने का काम करता है. साथ ही इसमें विमानों के रखरखाव और भंडारण की सुविधा होती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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