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जर्जर भवन में में काम निबटा रहा अंचल कर्मी

लिपिक व हल्का कर्मचारी के अभाव के कारण लाखों किसानों की भूमि संबंधी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है

बेनीपुर. ब्रिटिशकालीन जर्जर भवन में संचालित अंचल कार्यालय में लिपिक व हल्का कर्मचारी के अभाव के कारण लाखों किसानों की भूमि संबंधी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है. किसान इसके लिए दर-दर भटकते रहते हैं. विदित हो कि कभी अंग्रेजी हुकूमत व राज दरभंगा के तहसील कार्यालय भवन में सात दशक से अधिक समय से अंचल कार्यालय संचालित है. यह भवन अब पूरी तरह: क्षतिग्रस्त हो चुका है. यहां कार्यालय का अभिलेख सुरक्षित रखना भी अंचल प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. मालूम हो कि बेनीपुर अंचल कार्यालय के अधीन 22 हल्का है. इन हल्कों के कृषक व लोगों को भूमि संबंधी समस्याओं के निदान के साथ अन्य प्रमाण पत्र निर्गत करने की जिम्मेवारी अंचल प्रशासन की है. इसके लिए सरकार द्वारा प्रत्येक हल्का में राजस्व कर्मचारी, प्रधान सहायक के साथ चार लिपिक, चार चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के साथ एक राजस्व अधिकारी व सीओ का पद सृजित है, लेकिन वर्तमान में यहां सीओ के अतिरिक्त मात्र एक प्रभारी नाजिर हैं, जो सप्ताह में मात्र तीन दिन अंचल कार्यालय में तो तीन दिन अपने मूल कार्यालय में समय देते हैं. प्रधान लिपिक के पद पर कार्यरत बलराम झा की संविदा अवधि समाप्त हो जाने के कारण यह पद रिक्त पड़ा हुआ है. वहीं एक स्थायी लिपिक संजय सहनी पहुंच के बल पर जिला में प्रतिनियुक्ति पर हैं. परिणामस्वरुप कार्यालय संचालन का जिम्मा यहां कार्यरत चार आदेशपाल थामे हुए हैं. राजस्व अधिकारी का कामकाज एक राजस्व कर्मचारी असली कुमार राय संभाल रहे हैं. वहीं 22 हल्का में मात्र नौ राजस्व कर्मचारी पदस्थापित हैं. इसे लेकर प्रत्येक के जिम्मे दो से तीन हल्का थमा दिया गया है. फलस्वरूप आमलोगों को सामान्य भूमि संबंधी समस्याओं को लेकर कई दिनों तक कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है. एक राजस्व कर्मी के तीन-तीन हल्का के प्रभार होने के कारण उन्हें भी बिचौलियों के माध्यम से ही आमलोगों का कार्य निबटाना पड़ता है. ये बिचौलिए आम अशिक्षित किसानों का भयादोहन करते हैं. किसानों से अवैध राशि की वसूली की जाती है. दाखिल-खारिज, भूमि लगान निर्धारण व भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र के लिए वैसे तो सरकार द्वारा ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध है, लेकिन किसानों का काम इन बिचौलिए के रहमोकरम पर ही निर्भर है. दूसरी ओर वर्षों पूर्व इस पुराने जर्जर भवन पर विशाल वटवृक्ष के गिरने के कारण भवन का अधिकांश भाग ध्वस्त हो चुका है. इसे लेकर किसानों के लिए अति उपयोगी कई अभिलेख नष्ट होते जा रहे हैं. इसे सहेजकर रखना अंचल प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. अति महत्वपूर्ण कई अभिलेख बारिश में गल गये. इस कारण किसानों भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच महीनों पूर्व पुन: अंचल कार्यालय पर पीपल पेड़ की एक विशाल टहनी गिर गयी, जिसे अंचल प्रशासन द्वारा वहां से हटाया नहीं जा रहा है, लिहाजा भवन और क्षतिग्रस्त होता जा रहा है. यह कभी भी धराशायी हो सकता है. हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है. सीओ अश्विनी कुमार बताते हैं कि भवन व कर्मियों की कमी के संबंध में उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है. समस्याओं के बीच उपलब्ध संसाधनों के सहारे आमलोगों को बेहतर सुविधा उपलब्ध का प्रयास किया जा रहा है. कार्यालय की छत पर गिरे पीपल की डाली को शीघ्र हटा दिया जाएगा.

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