अशोक गुप्ता, दरभंगा. अब अनाथ, भीख मांगने वाले, घुमंतु परिवार के बच्चों की पढ़ाई के लिए आवासीय छात्रावास की सुविधा मिलेगी. उनके लिये पढ़ाई के साथ रहने एवं खाने की व्यवस्था होगी. कई तरह की अन्य सुविधाएं भी दी जाएगी. रेलवे प्लेटफाॅर्म या बस पड़ाव पर रहने वाले बच्चे, कूड़ा करकट चुनने वाले बच्चे, देह व्यापार से जुड़े परिवार एवं ट्रांसजेंडर समुदाय के बच्चे का नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय छात्रावास में नामांकन होगा. वैसे बच्चे जिन्हें विद्यालय पहुंचने में भौगोलिक अथवा सामाजिक कठिनाई हो रही है अथवा उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र के हैं, उनकी पढ़ाई के लिए सरकार छात्रावास में व्यवस्था कर रही है. साथ ही जिन बच्चों के माता-पिता काम के सिलसिले में पलायन कर गये हैं, उन बच्चों की देखरेख एवं पढ़ाई की जिम्मेवारी भी सरकार उठाएगी. इनका भी सुभाष चंद्र बोस आवासीय छात्रावास में नामांकन लिया जायेगा. बेंचमार्क डिसेबिलिटी वाले दिव्यांग बच्चे भी छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर सकेंगे. बाल श्रम से मुक्त कराए गए बच्चों का भी नामांकन लिया जायेगा. सरकार उनके रहने से लेकर पढ़ाई एवं भोजन समेत अन्य सुविधाओं की जिम्मेवारी उठाएगी. इस तरह के छह से 18 आयु वर्ग के बच्चे छात्रावास में नामांकन ले सकेंगे. शैक्षणिक सत्र 2024- 25 से इसे चालू कर दिया गया है. वर्तमान में बहादुरपुर प्रखंड के प्लस टू माध्यमिक विद्यालय डगरशाम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय छात्रावास (बालक) संचालित है. इसमें 100 बच्चों के आवासान एवं अन्य व्यवस्था की गयी है. सरकार की टॉप प्रायरिटी वाली यह योजना शैक्षिक सत्र एक अप्रैल से प्रारंभ है. किंतु, अब तक इसमें एक भी बच्चा का नामांकन नहीं लिया गया है. नामांकन नहीं कराये जाने को लेकर प्रभारी डीइओ रवि कुमार ने सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, प्रखंड परियोजना प्रबंधक एवं लेखपाल सह डाटा एंट्री ऑपरेटर को उक्त कोटि के बच्चों को चिन्हित कर अभिभावकों से सहमति प्राप्त करने को कहा है. कहा है कि छात्रावास में नामांकन की कार्रवाई 24 घंटे के अंदर सुनिश्चित की जाए.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है