दरभंगा. “भारतीय ज्ञान परंपरा और बौद्धधर्म दर्शन ” विषय पर लनामिवि के पीजी संस्कृत विभाग एवं डॉ प्रभात दास फाउंडेशन की ओर से आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में संस्कृत विश्वविद्यालय के साहित्य विभाग के प्राध्यापक डॉ रीतेश कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारतीय संस्कार, संस्कृति, नीति, राष्ट्रीयता आदि भारतीय ज्ञान परंपरा का विशेष महत्व दिया गया है. भारतीयता को हम सिद्धांत एवं आचरण दोनों रूपों में ग्रहण करते हैं. इसमें आत्मवत् सर्वभूतेषु.. तथा वसुधैव कुटुंबकम्…आदि की भावना निहित है. कहा कि ज्ञान ही हमें पशु से विशिष्ट बनाता है. इसकी पृष्ठभूमि व्यावहारिक होना चाहिए. कहा कि बौद्धधर्म दर्शन में त्यागपूर्वक भोग की भावना रही है. सभी प्राणियों के प्रति दया की भावना हम बौद्ध धर्म से ही सीखे हैं. हिंसा के कारण अनेक कुरीतियों उत्पन्न हुई, जिसे बौद्ध धर्म के आगमन से समाप्त किया गया. बौद्धधर्म दर्शन हममें जीवन जीने की कला तथा मानव-कल्याण की भावना को जगाता है, जो भारतीय ज्ञान- परंपरा का महत्वपूर्ण भाग है. मारवाड़ी कॉलेज के डॉ विकास सिंह ने कहा कि बौद्धधर्म दर्शन अति विस्तृत एवं मध्यम मार्गी है. इसका भारतीय ज्ञान परंपरा में काफी योगदान रहा है. बौद्धधर्म में पांच प्रमुख परंपरा है, जिनमें शास्त्रार्थ की प्रमुखता है. बुद्ध में 32 महापुरुष लक्षण थे. बौद्ध दर्शन दुःखवादी नहीं, बल्कि दुःख का कारण बताकर सुख की ओर ले जाने वाला दर्शन है. संस्कृत विश्वविद्यालय के व्याकरण विभाग की प्राध्यापिका डॉ साधना शर्मा ने कहा कि बौद्धशास्त्र परिपूर्ण है. इसका साहित्य बुद्धि निर्माण करने में सक्षम है. कहा कि बौद्ध दर्शन सभी शास्त्रों को अलंकृत किया है. फाउंडेशन के सचिव मुकेश कुमार झा ने कहा कि भारतीय ज्ञान- परंपरा अति समृद्धि एवं तर्क- वितर्क की रही है. इसमें सदा परिवर्तन और विकास होता रहा है. कहा कि बौद्ध धर्म हमें बताता है कि संसार में दुःख है, जिसका कारण है और उसका निदान भी है. विभागाध्यक्ष डॉ घनश्याम महतो ने कहा कि अनेक विदेशी आक्रमणकारियों के आने के बाद भी भारतीय ज्ञान- परंपरा कभी समाप्त नहीं हुई. यह परंपरा परमानंद की प्राप्ति में समर्थ है. कहा कि यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों के सिलेबसों में कम से कम पांच प्रतिशत भाग भारतीय ज्ञान- परंपरा से रखने का निर्देश दिया है. डॉ आरएन चौरसिया ने कहा कि बौद्धों ने भारतीयों को एक लोकप्रिय धर्म दिया, जिसे समझना और पालन करना काफी सरल है. यह स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने से जुड़ा है, जिसके कारण सनातन धर्म में भी काफी सुधार हुआ. संचालन रीतु कुमारी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ ममता स्नेही ने किया. डॉ राम नारायण राय की अध्यक्षता में आयोजित तकनीकी सत्र में 20 से अधिक प्रतिभागियों ने पत्र वाचन किया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ कुमारी पूनम राय ने किया. सेमिनार में डॉ प्रियंका राय, डॉ संजीव साह, डॉ संजीत राम, डॉ राजीव कुमार, डॉ रवि राम, डॉ संजीव कुमार, डॉ विरोध राम, डॉ अवधेश कुमार, डॉ शीला यादव मौजद रहे.
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