Darbhanga News: कमतौल. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भगवान की बरात सीतामढ़ी से दरभंगा की सीमा में पहुंचते ही जनकनंदिनी जानकी की नगरी मिथिला का इलाका राममय हो गया. जय श्रीराम व जय-जय सियाराम के जयकारे से वातावरण भक्तिरस से सराबोर हो उठा. अहल्यास्थान में पलक-पांवड़े बिछाए श्रद्धालुओं ने रथ से भगवान को कंधे पर उठाकर मंगल आरती की और परिछन किया गया. इस अवसर पर अवध नगरिया से अइले सुंदर दूल्हा, जुड़ाये लेहु हे सासु अपनो नयनमा, देखु-देखु-देखु सखिया सजनी हमार हे, सुंदर पहुनमा एलखिन जनक दुआर हे… सरीखे गीत गाये. मंच पर दूल्हा बने चारों भाईयों व अयोध्या से आए करीब दर्जन भर मठाधीशों को पाग- चादर व माला से सम्मानित किया गया. वहीं स्वागत में श्रीमान समधिजी कोटि-कोटि प्रणाम, धन्य हमर ई मिथिला आ धन्य हमर ई गाम, मंगलमय दिनु आजु हे पाहुन छथि आयल.. सरीखे गीत अतिथियों के सम्मान में गाये गये. आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया, चारु दूल्हा में बड़का कमाल सखिया, जेहने किशोरी मोरी तेहने किशोर हे, विधना लगाओल जोड़ी केहन बेजोड़ हे जैसे वैवाहिक गीत से माहौल भक्तिमय बना रहा. इधर भोजन के समय महिलाओं की हंसी-ठिठोली भाव भरे गीत तोहार दूल्हा हे तोहार दूल्हा, सांवर सांवर सुरतिया जैसे गीतों के संग हास-परिहास करते रहे. देर शाम साढ़े छह बजे दूल्हा बने प्रभु श्रीराम के रथ की रवानगी रात्रि विश्राम पड़ाव स्थल मधुनबी जिले के बेनीपट्टी के लिए हुई.
रथ के गुजरने वाले रास्ते चंदौना, घोघराहा, जाले, लतराहा, राढ़ी, ब्रह्मपुर पश्चिमी, रतनपुर, ब्रह्मपुर पूर्वी, राढ़ी पूर्वी में श्रीराम की बरात देखने के लिए सड़कों के किनारे श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. जगह-जगह रथ पर पुष्प वर्षा कर अपने आराध्य का स्वागत करने के लिए सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु खड़े थे. रतनपुर से अहल्यास्थान आने वाले रास्ते में रथ के प्रवेश करते ही जय-जय सियाराम के जयकारे से माहौल भक्तिमय हो गया. इसके साथ ही भगवती अहल्या की नगरी अहल्यास्थान में उल्लास छा गया. बरात देखने के लिए अहल्यास्थान में कई गांव के लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. स्वागत के बनाये गए पंडाल में तिल रखने की जगह नहीं बची.जनकपुर धाम के लिए निकली बरात
अयोध्या से चली बरात अहल्यास्थान से विदा लेकर जनकपुर धाम के लिए निकल पड़ी. इससे पहले बरात में आए प्रतीकात्मक प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ साधु-संतों को विदाई दी गयी. बरात में शामिल चारों भाई सहित साधु-संतों को पाग-चादर, माला से सम्मानित किया गया. युवराज ने अपने हाथों से इसे पूरा किया. इस अवसर पर अहल्यास्थान किसी विवाह समारोह के जनवासे से कम नहीं लग रहा था. स्थानीय लोग भी उत्साहित होकर स्वागत सत्कार में जुटे थे. स्वागत सत्कार देख बराती भी आनंदित हो रहे थे. साधु-संत भी मिथिला के लोगों द्वारा अतिथि देवो भवः की भावना से स्वागत करने की परंपरा की खूब प्रशंसा कर रहे थे.अहल्यास्थान के विकास के लिए करेंगे हरसंभव प्रयास: कुमार कपिलेश्वर सिंह
योध्या से जनकपुर जा रहे भगवान श्रीराम की बरात का स्वागत करने लिए रविवार को दोपहर करीब डेढ़ बजे युवराज कुमार कपिलेश्वर सिंह सपरिवार अहल्यास्थान पहुंचे. मन्दिरों में दर्शन-पूजन के बाद अतिथि गृह में बातचीत के दौरान स्थानीय लोगों ने वर्ष 1817 में महाराजा छत्र सिंह द्वारा बनवाये गये रामजानकी मंदिर, तालाब आदि के जीर्णोद्धार व अहल्यास्थान के विकास पर उनका ध्यान आकृष्ट कराया. कहा कि यहां हर वर्ष लाखों रुपए खर्च कर महोत्सव मनाया जाता है. इस दौरान मंच से बार-बार मंदिर के जीर्णोद्धार की बात की जाती है. कहा तो यह भी गया है कि इसके जीर्णोद्धार के लिए 25 करोड़ का डीपीआर सरकार की ओर से तैयार है. आप प्रयास करेंगे तो अहल्यास्थान का विकास व मंदिर का जीर्णोद्धार अवश्य हो जायेगा. इसपर लोगों को आश्वस्त करते हुए युवराज ने कहा कि पूरी जानकारी प्राप्त कर अहल्यास्थान के विकास और मंदिर के जीर्णोद्धार का पूरा प्रयास किया जाएगा. इसे लेकर उन्होंने ग्रामीणों से एक आवेदन देने के लिए भी कहा. स्थानीय न्यास समिति की ओर से मिथिला के रिवाज के अनुसार पाग-चादर व माला से उन्हें सम्मानित किया गया. अहल्या संदेश नामक स्मारिका प्रदान किया गया. बरात आने में विलंब होने की सूचना के बाद सपरिवार गौतमाश्रम के लिए प्रस्थान कर गये. गौतमाश्रम में दर्शन-पूजन कर वापस अहल्यास्थान पहुंचे. इसके बाद भगवान श्रीराम बरात के स्वागत सत्कार में जुट गए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है