डीएमसीएच में बेकार साबित हो रहे तीन-तीन पीएसए ऑक्सीजन प्लांट

कोरोना काल में चिकित्सा के मद्देनजर ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति के लिए डीएमसीएच परिसर में चार ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किये गये थे.

By Prabhat Khabar News Desk | August 28, 2024 10:52 PM

दरभंगा. कोरोना काल में चिकित्सा के मद्देनजर ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति के लिए डीएमसीएच परिसर में चार ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किये गये थे. पीएम केयर फंड से ओपीडी, शिशु, गायनिक व इएनटी विभागों में इसे इंस्टॉल किया गया था, लेकिन इसका मकसद पूरा नहीं हो सका. अभी भी मरीजों के चिकित्सा के मद्देनजर ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए सिलेंडर पर निर्भरता समाप्त नहीं हुई है. सरकार को हर माह ऑक्सीजन पर लाखों रुपये का व्यय करने पर रहे हैं. जानकारी के अनुसार प्रत्येक माह विभिन्न विभागों में ऑक्सीजन सिलेंडर पर करीब छह लाख रुपये खर्च हो रहें है. इस लिहाज से इस मद में साल में करीब 72 लाख रुपये व्यय हो रहे हैं. बताया गया है कि सप्लायर द्वारा चार से पांच गाड़ी बड़े सिलेंडर भेजा जाता है. अगर पीएसए प्लांट सही से कार्य करता तो यह स्थिति नहीं रहती.

शिशु व आपातकालीन विभाग में सबसे अधिक सिलेंडर की खपत

विभागीय जानकारी के अनुसार ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत शिशु व आपातकालीन विभाग में सबसे अधिक हो रही है. अन्य विभागों में गंभीर रोगियों के वेंटिलेटर में खपत हो रही है.

इकलौते लिक्विड प्लांट से इन विभागों में हो रही सप्लाई

डीएमसीएच परिसर में स्थापित लिक्विड प्लांट चालू अवस्था में है. इससे इएनटी, मेडिसिन, सर्जरी बिल्डिंग, ट्रॉमा सेंटर, पूराने गायनिक विभाग, आइसोलेशन में ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है.

सीओटी व मेडिसिन आइसीयू में कनेक्शन नहीं

ओपीडी परिसर स्थित सीओटी व मेडिसिन आइसीयू में ऑक्सीजन की खपत सबसे अधिक होती है, लेकिन यहां किसी प्लांट से कनेक्शन नहीं है. ऑक्सीजन प्लांट के रखरखाव व कनेक्शन का कार्य बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कारपोरेशन लिमिटेड (बीएमएसआइसिल) के जिम्मे है.

मॉक ड्रिल में असफल साबित हुए ये प्लांट

अस्पताल में ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति के लिये प्लांट की स्थापना की गयी थी.समय- समय पर प्लांटों को चेक करने के लिये मॉक ड्रिल किये गये थे. लेकिन, कभी भी सभी प्लांट पूरी क्षमता से नहीं चला. इसे लेकर अस्पताल प्रशासन की ओर से कई बार बीएमएसआइसिल को पत्र लिखा गया था, लेकिन कोई निदान नहीं निकल सका.

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