Bihar Election History: जब देशभर की नजर थी दरभंगा लोकसभा सीट पर
Bihar Election History: देश में हुए पहले आम चुनाव में दरभंगा संसदीय सीट पर देश-दुनिया की नजर थी. जवाहर लाल नेहरू के कट्टर विरोधी महाराजा कामेश्वर सिंह इस सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे. उनकी हार आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.
Bihar Election History: पटना. जवाहर लाल नेहरू और महाराजा कामेश्वर सिंह के बीच जमींदारी उन्मूलन को लेकर हुए मतभेद के बाद 1952 के पहले चुनाव में दरभंगा पर देश-विदेश की नजर थी. महाराज कामेश्वर सिंह यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे. आजादी की लड़ाई और उसके बाद चुनावी राजनीति से दरभंगा महाराज के परिवार का भी गहरा नाता रहा था. कांग्रेस के स्थापना काल में दरभंगा राज परिवार की महत्वपूर्ण भागीदारी रही, लेकिन 1922 के चुनाव में कांग्रेस ने सच्चिदानंद सिन्हा को दरभंगा के महाराजा रमेश्वर सिंह के खिलाफ उम्मीदवार के रूप में उतार दिया और वो चुनाव रमेश्वर सिंह हार गये. रमेश्वर सिंह के पुत्र महाराज कामेश्वर सिंह संविधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए. आजादी के बाद 1952 में हुए पहले आम चुनाव में वो कांग्रेस के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़े.
अनोखा था महाराजा का चुनाव प्रचार
कांग्रेस की उस सुनामी में कामेश्वर सिंह के चुनाव प्रचार का भी तरीका अनोखा था. वे ताम झाम से दूर सिर पर पाग रख कर लोगों से मिलते थे. कामेश्वर सिंह की जितनी चर्चा बिहार के बाहर थी, उतनी ही दरभंगा में भी लोग उन्हें देखना और सुनना चाहते थे. इलाके में उन दिनों यह चर्चा का विषय था कि महाराज साहब चुनाव लड़ रहे हैं. कामेश्वर सिंह को लोग महाराज के नाम से ही जानते थे. उन दिनों को याद करते हुए लोग बताते हैं कि महाराज साहब ने लोगों के लिए जो भी सामग्री भिजवायी, उनके कुछ लोगों ने धोखा किया.
कांग्रेस के लोग ही थे महाराजा के कार्यकर्ता
1952 के चुनाव में हिस्सा लेनेवाले लोग बताते हैं कि राजमहल से निकलने वाली चीजें आमलोगों तक कांग्रेस उम्मीदवार के नाम से पहुंचती थीं. जब चुनाव परिणाम आया तो महाराज कामेश्वर सिंह मात्र आठ हजार से भी कम मतों से पीछे रह गये. कांग्रेस के तत्कालीन उम्मीदवार श्यामनंदन मिश्र को जीत मिली. दरभंगा सेंट्रल सीट से कांग्रेस के श्रीनारायण दास चुनाव जीतने में सफल रहे. कामेश्वर सिंह ने दूसरी बार लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा.
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झारखंड पार्टी के उम्मीदवार बन दो बार गये राज्यसभा
1952 में वे राज्यसभा के सदस्य चुने गये. झारखंड पार्टी के जयपाल सिंह मुंडा के साथ रहे विधायकों के वोट से उन्होंने राज्यसभा चुनाव में जीत हासिल की. जयपाल सिंह मुंडा की पार्टी के बिहार विधानसभा में 26 विधायक थे. राज्यसभा के इस चुनाव में कांग्रेस के अतिरिक्त उम्मीदवार चुनाव हार गये थे. महाराजा कामेश्वर सिंह 1952 से 58 तक राज्यसभा के सदस्य रहे. इसके बाद 1960 में दोबारा राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. राज्यसभा में उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपना पक्ष रखा था. 1962 में उनका निधन हो गया.