Flood in Bihar : तीन दिन सं नहि जड़लै चूल्ही, फांकि रहल छी बाले-बच्चे चूड़ा-मुरही…बेइंतहा है पीड़ितों का दर्द
तीन दिन सं चूल्ही नहि जड़लै. बाले-बच्चे चूड़ा-मुरही फांकि दिवस गमा रहल छी. नहि जानि एहि बेर बाबा कुशेश्वर कतेक परीक्षा लेथिन. एक तं पानि तेजी सं बढ़िए रहल छै आ दोसर दिस बिहारिक संग भ रहल बरखा....
कुशेश्वरस्थान : तीन दिन सं चूल्ही नहि जड़लै. बाले-बच्चे चूड़ा-मुरही फांकि दिवस गमा रहल छी. नहि जानि एहि बेर बाबा कुशेश्वर कतेक परीक्षा लेथिन. एक तं पानि तेजी सं बढ़िए रहल छै आ दोसर दिस बिहारिक संग भ रहल बरखा…. यह कहते-कहते रुकमनी देवी की पलकें गीली हो जाती हैं और सहसा हाथ जुड़ जाते हैं. वह आंख की पहुंच तक नजर आ रहे पानी की ओर देखते हुए कह उठती है आब मुक्त क दियौ यो बाबा कुशेश्वर.
भदहर पंचायत के भदहर-नदियामी प्रधानमंत्री सड़क किनारे महादलित रूकमनी देवी ने सपरिवार शरण ले रखी है. उसके गांव नदियामी में घर में पानी प्रवेश कर गया है. प्रलय मचा रही बाढ़ से सड़क पर आकर तो वह सुरक्षित हो गयी, लेकिन उपर से हो रही आफत की बरसात से बचने का उसके पास कोई उपाय नहीं है. विपत्ति के थपेड़ों के साथ खुद को बहने के लिए छोड़ दिया है.
यह सिर्फ एक रूकमनी की कहानी नहीं है, प्रखंड की सभी 14 पंचायतों में कमोबेश बाढ़ से विस्थापितों की यही दास्तान है. रूकमनी के साथ सड़क किनारे कपड़ा व पन्नी टांगकर रहने वालों में रामबालक चौपाल, मोती सदा, अंजली देवी, जीवछी देवी, दायसुन्दरी देवी, रामविसलास सदा, श्रीराम सदा सहित दो दर्जन परिवारों की एक जैसी समस्या है.
मौसम विभाग के भारी बारिश को लेकर जारी अलर्ट ने इनकी नींद छीन ली है. कारण एक तो बाढ़ के जलस्तर में वृद्धि जारी है, ऊपर से बारिश का साथ मिला तो इन लोगों को सड़क भी छोड़ देना पड़ेगा. किसी दूसरे ऊंचे स्थल की तलाश करनी होगी. नजदीक में ऐसी कोई जगह नजर नहीं आ रही है, तो दूर किसी जगह डेरा डालना होगा.
मालूम हो कि अधिक विस्थापित वाले पंचायतों में दिनमो, चिगड़ी सिमराहा, बरना, विषहरिया, भदहर, पकाही झझड़ा, गोठानी के दर्जनों परिवार उंचे स्थानों पर शरण ले चुके हैं. वहीं प्रखंड के बेरि, औराही, हरिनगर, मसानखोन, हिरणी, हरौली पंचायत में भी दो दर्जन से भी अधिक परिवार विस्थापित बसर कर रहे हैं.
बाढ़ से प्रखंड के 72 राजस्व ग्राम व दो दर्जन टोले की दो लाख 22 हजार पांच सौ की आबादी प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार पूर्ण प्रभावित है. इन परिवारों के समक्ष जलावन, स्वच्छ पानी एवं शौच की विकट समस्या है. आजादी के सात दशकों में कितनी सरकारें बदल गयीं. जनप्रतिनिधियों के चेहरे भी बदले. नहीं बदली तो इस इलाके की प्रतिवर्ष आनेवाली यह समस्या.
posted by ashish jha