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डीडीई में अयोग्य शिक्षक बहाल करने वालों को चिह्नित करेगी पांच सदस्यीय कमेटी, जुर्माना होगा वसूल

एनसीटीई की मानक के अनुसार डीडीई के बीएड विभाग में तीन अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति मामले में दोषी को चिह्नित करने का काम लनामिवि की कमेटी करेगी. इस दिशा में विश्वविद्यालय ने पहल प्रारंभ कर दी है. योग्य साबित करने के लिए संबंधित शिक्षकों द्वारा दिये गये आवेदन के आलोक में मामले की जांच के लिए सिंडिकेट द्वारा पूर्व में गठित की गयी कमेटी को ही दोषी को चिह्नित करने का भार मिला है. पूर्व से गठित तीन सदस्यीय समिति में कुलानुशासक डॉ अजय नाथ झा, सिंडिकेट सदस्य डॉ दयानंद पासवान व जीडी कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ राम अवधेश कुमार शामिल हैं.इस समिति में दो और नये सदस्य मनोनीत किये जाएंगे. कुलसचिव डॉ मुश्ताक अहमद ने इसकी पुष्टि की है. बता दें कि उच्च न्यायालय ने तीनों अयोग्य प्राध्यापकों को बहाल करने वाले दोषी को चिह्नित कर पांच लाख रुपये जुर्माना वसूलने का आदेश विवि को दिया है.

एनसीटीई की मानक के अनुसार डीडीई के बीएड विभाग में तीन अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति मामले में दोषी को चिह्नित करने का काम लनामिवि की कमेटी करेगी. इस दिशा में विश्वविद्यालय ने पहल प्रारंभ कर दी है. योग्य साबित करने के लिए संबंधित शिक्षकों द्वारा दिये गये आवेदन के आलोक में मामले की जांच के लिए सिंडिकेट द्वारा पूर्व में गठित की गयी कमेटी को ही दोषी को चिह्नित करने का भार मिला है. पूर्व से गठित तीन सदस्यीय समिति में कुलानुशासक डॉ अजय नाथ झा, सिंडिकेट सदस्य डॉ दयानंद पासवान व जीडी कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ राम अवधेश कुमार शामिल हैं.इस समिति में दो और नये सदस्य मनोनीत किये जाएंगे. कुलसचिव डॉ मुश्ताक अहमद ने इसकी पुष्टि की है. बता दें कि उच्च न्यायालय ने तीनों अयोग्य प्राध्यापकों को बहाल करने वाले दोषी को चिह्नित कर पांच लाख रुपये जुर्माना वसूलने का आदेश विवि को दिया है.

दोषी को चिह्नित करने को पहले से गठित है कमेटी

लनामिवि द्वारा डीडीई के बीएड नियमित विभाग में बहाल किये गये जिन तीन शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी गई थी, उन सभी ने विवि के निर्णय के खिलाफ कुलपति से शिकायत की थी. वहीं उच्च न्यायालय में भी याचिका दायर कर दी थी. सेवा समाप्त करने का जो आधार बताया गया था, उसे लेकर शिक्षकों ने विवि को ही कटघरे में खड़ा करते हुए सिंडिकेट सदस्यों से न्याय की गुहार लगायी थी. इनका कहना था कि विवि की गलती का खामियाजा उन्हें क्यों भुगतना पड़े? सिंडिकेट की बैठक में 28 नवंबर को विधायक संजय सरावगी तथा डॉ हरिनारायण सिंह ने मामले की जांच कर दोषी को चिह्नित कर विधिसम्मत निर्णय लेने का निर्देश विवि को दिया था. इसके आलोक में विवि ने 10 दिसंबर की सिंडिकेट में मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी कर दी थी.

सीट बढ़ाने की पहल से फंसा मामला

बता दें कि डीडीई ने 50 सीट बढ़ाने के लिए एनसीटीई में आवेदन दिया था. उधर, प्राध्यापकों की पहले बहाली करने को कहा गया. बहाली के बाद जब डीडीई ने रिपोर्ट एनसीटीई को दी तो वहां पाया गया कि मानक के अनुसार शिक्षक बहाल नहीं किये गये हैं. इसके बाद विवि ने दोबारा विज्ञापन निकाल कर नये शिक्षकों को बहाल कर दिया. इसके बाद फिर से एनसीटीई में सीट बढ़ाने की अपील की गयी. इस अपील को एनसीटीई की सहमति नहीं मिली. इसके खिलाफ विवि ने एनसीटीई पर पटना उच्च न्यायालय में वाद दायर कर दिया. इसी वाद में उच्च न्यायालय ने आदेश पारित कर अयोग्य शिक्षक नियुक्ति मामले की जांच कर दोषी को चिह्नित करते हुए, उससे पांच लाख रुपये जुर्माना वसूल करने को कहा है.

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तीन नये शिक्षकों की बहाली में आरक्षण रोस्टर पर सवाल

तीन शिक्षकों की सेवा समाप्त कर तीन नये शिक्षकों की नियुक्ति मामले को लेकर भी सवाल उठाया जा रहा है. अयोग्य तीन शिक्षकों की सेवा अगस्त 2020 में समाप्त की गई. वहीं, उनकी जगह पर विवि ने मई 2020 में ही तीन नये शिक्षकों की नियुक्ति कर ली. मई से अगस्त 2020 यानी चार माह तक योग्य एवं अयोग्य दोनों कोटि के शिक्षक एक ही सीट के विरुद्ध काम करते रहे. जानकारों का कहना है कि आखिर अयोग्य करार दिये गये तीन शिक्षकों की सेवा समाप्त किये बिना उसी सीट पर अन्य शिक्षकों की नियुक्ति कैसे की जा सकती है? बताया जाता है कि बाद में बहाल शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर का अनुपालन भी नहीं किया गया. बीएड नियमित विभाग में नये नियुक्त शिक्षकों में जय शंकर सिंह, किरण कुमारी और रेशमा तब्बसुम व जिनकी सेवा समाप्त कर दी गयी गई, उसमें राजेश कुमार, राजेंद्र सहनी तथा राजमोहन पासवान शामिल हैं.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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