कमतौल. न्याय शास्त्र के प्रणेता महर्षि गौतम की तपोस्थली में बाल्यकाल से वैराग्य का जीवन गुजारने वाले 85 वर्षीय रामानंदी संत महावीर शरण दासजी महाराज अधवारा समूह के खिरोई नदी के पावन तट पर विराजमान गौतमाश्रम में शुक्रवार की देर रात करीब 10. 36 बजे ब्रह्मलीन हो गये. उनका अंतिम संस्कार वैष्णव सनातन परंपरा के अनुसार आश्रम परिसर में शिष्यों द्वारा शनिवार को किया गया. आश्रम से जुड़े लोगों ने बताया कि गुरुदेव काफी समय से बीमार चल रहे थे. उनका इलाज चल रहा था, इसी दौरान शुक्रवार की देर रात शरीर शांत हो गया. वैष्णव सनातन परंपरा के अनुसार एवं गुरुदेव भगवान की इच्छा के अनुरूप विधि-विधान से उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनके 13वीं संस्कार में मिथिला सहित दूसरे प्रदेश एवं नेपाल से शिष्यों के शामिल होने की उम्मीद है. गौतमाश्रम पीठ के ब्रह्मलीन महंत महावीर शरण दास के अंतिम दर्शन के लिए इलाके के हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े. इसमें उनके शिष्य समेत विभिन्न मठ-मंदिर के साधु-संत भी शामिल थे. अपराह्न चार बजे साधु-संतों की मौजूदगी में आश्रम परिसर में अंतिम संस्कार किया गया. मौके पर जाले के विधायक सह पूर्व मंत्री जीवेश कुमार, महर्षि गौतम आश्रम न्यास समिति के अध्यक्ष डॉ विजय भारद्वाज सहित इलाके के सैंकड़ों गणमान्य मौजूद थे. मन्दिर से जुड़े संत नारायण शरणदासजी ने बताया कि आज से 18 जुलाई तक के लिए अखंड संकीर्तन प्रारंभ हो गया है. वे सहरसा जिला के नवहट्टा प्रखंड के रहने वाले थे. 70 वर्षों से आश्रम में रहकर आश्रम की देखरेख व सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहे थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है