माय घर चल, रौद लगई छै, भूख लागल छै, हमरा खायले दे

छोटे बच्चों को क्या पता कि उसका घर कहां है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 3, 2024 11:40 PM

कुशेश्वरस्थान पूर्वी. छोटे बच्चों को क्या पता कि उसका घर कहां है. बच्चे अपनी मां से बोल रहे हैं कि माय घर चल, रौद लगई छै, भूख लागल छै, हमरा खायले दे. बच्चों की इस आवाज को सुनकर वहां मौजूद लोगों की आंखे नम हो जा रही थी. स्थिति का नजारा देखकर किसी का भी रूह कांप जाता है. आस-पड़ोस के लोग बच्चों को पारलेजी बिस्कुट का पैकेट दिया. बच्चे तुरंत लेकर भागे. आग से जले कटोरे में मां ने पानी दी. बच्चे पानी में बिस्कुट भींगाकर खाने लगे. कुछ लोग राख में सामान ढूंढ रहा था. कबूतरी देवी, चिंता देवी घर में जले जेवर को दिखा रही थी. राख से अपनी जेवर व कई जरूरी सामान खोज रही थी. हालांकि आग ने तो सब सामान को राख में तब्दील कर दिया था. अब सिर्फ राख के अलावा कुछ नहीं बचा था. उत्तिम राम फफक-फफककर बता रहा था कि हमलोग तो खेत में मजदूरी कर रहे थे. आग की लपट देख भागे. जीवन बचाने के लिए कौन कहां गया, किसी को पता नहीं. देर शाम आग शांत हुआ तो सभी को खोजना शुरू किया. कई बकरी भी जलकर राख में मिल गयी थी. बता दें कि इस अग्निकांड में 20-25 बकरी, एक भैंस जलकर मर गयी है. वहीं पांच-छह राशन की दुकान एवं एक आंटा चक्की समेत लाखों का नुकसान हुआ है. 90 वर्षीया मुन्नी देवी रोती कह रही थी कि बाबू अग्नि महाराज हमरा सबहक घर उजाड़ि देलक. आब की बचल जे देखै लेल आबै छी. बेटा-पोता मजदूरी करैत रहै त घर मे सब सुख से रहैल छलौ. आब त सब राख भ गेल. अग्निकांड में महादेव मठ का नजारा ऐसा है कि लगता है कि वहां कोई घर ही नहीं था. पीड़ित परिवार खेतों में तो कही पेड़ के नीचे कपड़ा टांगकर, कोई प्लास्टिक तानकर बच्चों के साथ रहने को मजबूर हैं. इधर सीओ गोपाल पासवान ने पीड़ितों के बीच प्लास्टिक का वितरण किया. अंचल प्रशासन द्वारा रेज्ड प्लेटफार्म पर टेन्ट लगया गया है, ताकि इस चिलचिलाती धूप में पीड़ित ठहराव कर सके. सीओ ने बताया कि चार सौ घर जल गये हैं. 20 से 25 बकरी तथा एक भैंस की मौत झुलने से हो गयी. वहीं पांच-छह राशन दुकान व एक आंटा चक्की राख में तब्दील हो गये.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version