शहर के दर्जनों विद्यालयों में शिक्षकों की घोर कमी
जिले के भूमिहीन दर्जनों विद्यालयों का अस्तित्व जमीन के अभाव में समाप्त कर दिया गया.
दरभंगा. जिले के भूमिहीन दर्जनों विद्यालयों का अस्तित्व जमीन के अभाव में समाप्त कर दिया गया. नजदीक के विद्यालयों में भूमिहीन विद्यालयों का संविलियन कर दिया गया. भूमिहीन विद्यालय के शिक्षक एवं बच्चे मूल विद्यालय के पार्ट बन गए, किंतु इस कार्रवाई के बाद शिक्षकों का सामंजन करना विभाग भूल गया. विभाग के भूमिहीन विद्यालयों के संविलियन में ही यह आदेश निहित था कि विद्यालयों के विलय के बाद शिक्षकों का सामंजन छात्र अनुपात में अन्य विद्यालयों में किया ूगा. परंतु विगत छह महीने बीत जाने के बावजूद इस पर कार्रवाई नहीं की जा सकी है. इसका परिणाम यह है कि प्रखंडों में दर्जनों विद्यालय शिक्षकों के अभाव में किसी प्रकार संचालित किया जा रहा है, वहीं भूमिहीन विद्यालयों का संविलियन के बाद मूल विद्यालय में दर्जनों शिक्षक टाइम पास करते मिल जाएंगे. इसमें शहर की स्थिति दयनीय है. बिहार लोक सेवा आयोग से चयनित शिक्षकों का पदस्थापन शहर में नहीं किया गया. वहीं दूसरी ओर शहर में पूर्व से पदस्थापित अधिकांश स्नातक ग्रेड के शिक्षक बीपीएससी से दोनों चरण में चयनित होकर दूसरे जिले के अन्य विद्यालयों में चले गए. वर्तमान स्थिति यह है कि मध्य विद्यालयों में छठी से आठवीं कक्षा में पढ़ाने वाले स्नातक ग्रेड के शिक्षकों की घोर कमी है. इनकी संख्या अब गिनती की रह गयी हैं, जबकि शहर में 66 मध्य विद्यालय में हजारों की संख्या मजदूर एवं कमजोर वर्ग के बच्चे पढ़ रहे हैं. शहर के मध्य विद्यालय मुसासाह में दो विद्यालयों का संविलियन किया गया. प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय जुरावन सिंह का विलय इस विद्यालय में कर दिया गया. वर्तमान में करीब तीनों विद्यालय मिलकर 500-600 विद्यार्थियों की क्षमता वाले इस विद्यालय में 23 शिक्षक कार्यरत है. वहीं शहर के ही कन्या मध्य विद्यालय बंसीदास में भी दो विद्यालयों मध्य एवं प्राथमिक विद्यालय दुमदुमा का विलय किया गया है. इस विद्यालय की भी स्थिति कमोबेश यही है. छात्र अनुपात में शिक्षकों की संख्या ज्यादा है. सबसे आश्चर्यजनक पहलू यह है कि इन दोनों विद्यालयों में वर्तमान में दो-दो पूर्ण कालिक प्रधानाध्यापक कार्यरत हैं. यह स्थिति विगत छह महीने से है. वहीं दूसरी ओर शहर के कई मध्य विद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. शहर के वार्ड नंबर सात स्थित मध्य विद्यालय बंगलागढ़ में मात्र तीन शिक्षकों के सहारे आठ वर्ग कक्ष का संचालन किया जा रहा है. विद्यालय के 300 से अधिक बच्चों का भविष्य विधिवत वर्ग संचालन के अभाव में कई महीनों से खानापूर्ति में बीत रहा है. इसी प्रकार शहर के मध्य विद्यालय सरस्वती कन्या, राम चौक, कटहलबाड़ी सहित दर्जनों विद्यालय मिल जाएंगे, जहां सभी वर्ग के लिए शिक्षक कार्यरत नहीं है. वहीं दूसरी और कई ऐसे विद्यालय मिल जाएंगे जहां विद्यार्थी एवं वर्ग के अभाव के कारण शिक्षक विद्यालय में बैठकर टाइम पास करते नजर आयेंगे. ऐसा नहीं है कि छात्र अनुपात में शिक्षकों के सामंजन करने का आदेश नहीं है, किंतु इच्छा शक्ति के अभाव में शहर के स्कूलों दुर्दशा अब किसी से छिपी नहीं है. शहर की यह स्थिति है तो सुदूर के प्रखंडों के विद्यालयों की क्या स्थिति होगी, इसका सहज अंदाजा लगाया सकता है. विभाग की बेरुखी से 2000 बच्चों का भी भविष्य दांव पर लगा है. विभाग एक और जहां संसाधनों एवं शिक्षकों की कमी दूर करने का दावा कर रहा है. वहीं दूसरी और शहर से लेकर सुदूर देहात के विद्यालयों में शिक्षकों के असमान वितरण के कई मामले देखे जा सकते हैं. बहरहाल शिक्षा अधिकारियों का इस और ध्यान कब जाता है.यह देखने वाली बात होगी.
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