बिरौल. इलाके में मंगलवार की शाम व गुरुवार की सुबह बारिश होने से प्रखंड क्षेत्र से गुजरने वाली निर्माणाधीन रसियारी एसएच-88 में बंदा चौक से मजरगाही तक लगभग 350 मीटर सड़क पर चलना काफी मुश्किल सा हो गया है. इस सड़क निर्माण में गौड़ा गांव के 58 लोगों ने जमीन अधिग्रहित कर मुआवजा नही मिलने के कारण उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी थी. उच्च न्यायालय में मामला लंबित होने के कारण 350 मीटर लंबाई में सड़क निर्माण का कार्य बाधित है. उच्च न्यायालय के निर्णयानुसार जमीन वालों के लिए लगभग नौ करोड़ रुपये का आवंटन सरकार ने कर दिया. इससे अधिकांश लोगों को मुआवजा मिल भी चुका है. सड़क निर्माण की गतिरोध दूर करने के लिए पिछले वर्ष 15 जुलाई को डीएम राजीव रोशन ने बैठक कर तत्कालीन उप विकास आयुक्त प्रतिभा रानी के नेतृत्व में छह सदस्यीय टीम गठित कर सड़क निर्माण कार्य शीघ्र शुरू कराने की दिशा में पहल की. डीएम के निर्देशानुसार 20 जुलाई को डीडीसी प्रतिभा रानी के नेतृत्व में तत्कालीन अपर समाहर्ता राजस्व राजेश झा राजा, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी वालेश्वर प्रसाद, बिरौल के अवर निबंधक भाष्कर ज्योति, बिरौल के भूमू सुधार उप समाहर्ता युनुस अंसारी, सीओ विमल कुमार कर्ण व सड़क निर्माण एजेंसी सीएण्डसी के डीजीएम राजकुमार सिंह ने व्यवधानित स्थल का भौतिक सत्यापन कर सड़क निर्माण में आने वाली सभी अर्चनों को दूर कर दिया. इसके बाद निर्माण एजेंसी ने जेसीबी से सड़क को मोटरेबुल कर दिया, परन्तु कुछ ही दिनों के बाद सड़क कई जगह गड्ढे में तब्दील हो गये. सड़क निर्माण में आने वाली सभी परेशानियों को दूर कर दिये जाने के बावजूद निर्माण एजेंसी ने 10 माह बाद भी सड़क को बनाना उचित नहीं समझा. इसके कारण इस वर्षा से 350 मीटर की दूरी में दर्जनों जगह पर बने गड्ढे में जल जमाव होने के कारण छोटे व बड़े वाहनों का चलना खतरे को आमंत्रित करने जैसा है. बाइक सवारों का तो इन गड्ढे व कीचड़युक्त पानी में गिर जाना आम बात हो गयी है. सड़क की इस समस्या को लेकर मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुमार चौधरी, प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष व स्थानीय मुखिया कृष्ण कुमार मिश्र प्रभाकर ने पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव व डीएम का इस ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए 10 वर्षों से निर्माणाधीन वरूणा-रसियारी एसएच में बन्दा चौक से मजरगाही तक खराब सड़क को शीघ्र बनवाने की मांग की है.
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