Darbhanga News: दरभंगा. विश्व मानवाधिकार दिवस पर लनामिवि के पीजी राजनीति विज्ञान विभाग में “मानवाधिकार और युवा विकास ” विषय पर विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव की अध्यक्षता में सेमिनार हुआ. इसमें मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. चंद्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि मानवाधिकारों की सैद्धांतिक चर्चा अब बौद्धिक विलासिता का रूप ले चुकी है. हमें इसकी व्यवहारिकता पर ध्यान देना होगा, ताकि प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा को स्थापित किया जा सके. विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव ने कहा कि वैश्विक शांति के लिए युवाओं में नवीनता, रचनात्मकता और मुखरता का होना जरूरी है. यह तब ही संभव होगा, जब उनके मानवाधिकार सुनिश्चित किये जायेंगे.
मानव विकास के क्षेत्र में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी- डॉ मुकुल
डॉ मुकुल बिहारी वर्मा ने कहा कि भारत आर्थिक क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन मानव विकास के क्षेत्र में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. जब हम इन दोनों में संतुलित प्रगति करेंगे, तब ही भारत विकसित राष्ट्र के रूप में विश्व पटल पर स्थापित हो पाएगा. डॉ मनोज कुमार ने कहा कि विश्व में युवा सांसदों की संख्या दो से भी कम है, जो मानवाधिकारों में युवाओं की सहभागिता के उपेक्षित पहलू को दर्शाता है. कहा कि स्वतंत्रता दी नहीं जाती, बल्कि उसे जीता जाता है. न्याय भी वसूला जाता है. शोधार्थी आशुतोष कुमार पांडे ने मानवाधिकारों के उद्भव और विकास पर प्रकाश डाला. छात्रा समारा खान ने कहा कि युवाओं के मानवाधिकार का तात्पर्य मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता का पूर्ण आनंद लेने से है. संचालन रघुवीर कुमार रंजन तथा धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी अनूप कुमार ने किया.न्याय की हिफाजत के लिए ही मानवाधिकार की जरूरत
महारानी कल्याणी कॉलेज में प्रधानाचार्य डॉ रहमतुल्लाह की अध्यक्षता में “आवर राइट्स, आवर फ्यूचर, राइट नाऊ ” विषय पर संगोष्ठी हुई. इसमें पूर्व कुलसचिव डॉ मुस्तफा कमाल अंसारी ने कहा कि मानवाधिकार शब्द की चर्चा करते ही जेहन में सबसे बड़ा शब्द आता है न्याय. बतौर मानव हर किसी को न्याय का जन्मसिद्ध अधिकार प्राप्त है और न्याय की हिफाजत के लिये ही मानवाधिकार की जरूरत है. इसके लिए मानवाधिकार आयोग का गठन हुआ. कहा कि जनहित से जुड़े मामले को अगर विधायिका या कार्यपालिका नजरअंदाज करती है, तो न्यायालय वैसे मामलों पर स्वतः संज्ञान लेती है. यह भी मानवाधिकार ही है. मानवाधिकार के अंतर्गत जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, समानता का अधिकार, न्याय का अधिकार, शिक्षा का अधिकार व स्वास्थ्य का अधिकार आदि पर विस्तार से प्रकाश डाला. डॉ जमशेद आलम ने कहा कि अधिकार के साथ कर्तव्यों के बारे में बताकर समाज में जागरुकता लाएं. खुद भी प्रण लें कि अधिकार के साथ कर्तव्यों का निर्वहण कर देश के जवाबदेह और जिम्मेदार व्यक्ति बनेंगे. मौके पर डॉ परवेज अख्तर, डॉ शम्से आलम, डॉ सच्चिदानंद मिश्रा आदि ने भी विचार रखा. संचालन उप कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ रीता कुमारी तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ रंजीत कुमार ने किया.कर्तव्य के बिना मानवाधिकार की बात करना बेमानी
एमएलएसएम कॉलेज में “भारतीय संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकार का महत्व ” विषय पर प्रधानाचार्य प्रो. शंभू कुमार यादव की अध्यक्षता में संगोष्ठी हुई. प्रधानाचार्य ने कहा कि आज अधिकार की बात सब करता है, लेकिन अक्सर कर्तव्य भूल जाता है. कहा कि कर्तव्य के बिना मानवाधिकार की बात करना बेमानी होगा. उन्होंने भारतीय संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों के महत्व में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा, समानता की स्थापना, न्याय की प्राप्ति, व्यक्तिगत गरिमा की रक्षा, लोकतंत्र की मजबूती, व्यक्तिगत विकास, सामाजिक न्याय, राष्ट्रीय एकता, मानवाधिकारों की रक्षा व संविधान की प्रभावशीलता आदि विषय पर प्रकाश डाला. मौके पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में 31 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. निर्णायक डॉ कुमुद कुमारी, डॉ मनोज कुमार वर्मा, डॉ नीरज कुमार तिवारी थे. कार्यक्रम में डॉ कुमार नरेंद्र नीरज, डॉ सुबोध चंद्र यादव, डॉ उदय कुमार साहू, किरण कुमारी मौजूद रहे.मानवाधिकार की रक्षा से मिलेगा विकसित भारत की संकल्पना को बल
कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के बाबा साहेब राम संस्कृत महाविद्यालय पचाढ़ी में विश्व मानवाधिकार दिवस पर संगोष्ठी हुई. इसमें कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ त्रिलोक झा सहित अन्य वक्ताओं एवं स्वयंसेवकों ने कहा कि मानवाधिकार बेहतर जीवन का आधार है. यदि हम मानवाधिकार के प्रति निष्ठावान रहेंगे, तो व्यक्ति एवं समुदाय सशक्त होगा. इससे विकसित भारत की संकल्पना को बल मिलेगा.
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