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Darbhanga News: शिक्षाकोष पोर्टल पर स्टूडेंट किट के आंकड़ों को अपलोड करने में जिला फिसड्डी

Darbhanga News:स्कूलों के विभिन्न आंकड़ों को इ-शिक्षा कोष पर अपलोड करा शिक्षा विभाग अपने सिस्टम को एक और जहां हाइटेक करने में लगा है, वहीं दूसरी ओर डाटा को अपलोड करने में भारी शिथिलता के मामले सामने आ रहे हैं.

Darbhanga News: दरभंगा. स्कूलों के विभिन्न आंकड़ों को इ-शिक्षा कोष पर अपलोड करा शिक्षा विभाग अपने सिस्टम को एक और जहां हाइटेक करने में लगा है, वहीं दूसरी ओर डाटा को अपलोड करने में भारी शिथिलता के मामले सामने आ रहे हैं. इसके पीछे कारण जो भी हो किंतु वास्तविकता यही है कि इ शिक्षाकोष पर कई तरह के आंकड़ों को अपलोड करने में पिछड़ रहे हैं. सबसे बड़ी समस्या अधिकांश विद्यालयों के पास कंप्यूटर एवं कंप्यूटर ऑपरेटर का नहीं होना बताया जा रहा है. हाल ही में बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के जारी आंकड़ों में बताया गया है कि बच्चों को दी गयी स्टूडेंट किट के आंकड़ों को इ-शिक्षाकोष पर अपलोड करने की प्रक्रिया काफी धीमी है. स्थिति यह है कि जिले में मात्र दो प्रतिशत बच्चों के आंकड़ों को ही पोर्टल पर अपलोड किया जा सका है.

बता दें कि जिले के 2586 विद्यालयों में 389325 छात्र-छात्राओं के बीच स्टूडेंट किट का वितरण किया गया, किंतु अब तक महज 9311 छात्र-छात्राओं के आंकड़ों पर स्टूडेंट किट के वितरण का टिक लगाया गया है. यह कुल छात्रों का मात्र दो प्रतिशत है, जबकि प्रदेश के 75424 स्कूलों के लिए एक करोड़ नौ लाख 70 हजार बच्चों के बीच एफएलएन स्टूडेंट किट का वितरण किया गया. किंतु मात्र 12 लाख 12 हजार 7 सौ छात्र छात्राओं के बीच स्टूडेंट कट के वितरण के आंकड़ों को पोर्टल पर अपलोड किया गया है. यह कुल वितरित किट का मात्र 11 प्रतिशत है. प्रदेश में आंकड़ों को अपलोड करने में वैशाली जिला सबसे टॉप पर है, जहां 71 फीसदी काम हो चुका है, जबकि सबसे कम प्रतिशत सहरसा, सीतामढ़ी एवं मुंगेर जिला का है. इन जिलों से मात्र एक प्रतिशत आंकड़ों को अपलोड किया गया है. प्रमंडल के जिलों में समस्तीपुर की उपलब्धि स्तर 10 प्रतिशत एवं मधुबनी की चार प्रतिशत है.

कंप्यूटर एवं कंप्यूटर ऑपरेटर की कमी से प्रभावित हो रहा काम

शिक्षा विभाग के आंकड़ों को हाइटेक करने में सबसे बड़ा बाधक प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में कंप्यूटर एवं कंप्यूटर ऑपरेटर बना हुआ है. आए दिन कई तरह के आंकड़ों को अपलोड करने के आदेश दिए जा रहे हैं, किंतु इन आंकड़ों को अपलोड करना इतना आसान भी नहीं है. पूरे राज्य में एक साथ आंकड़ों को अपलोड करने के कारण सरवर प्रॉब्लम आड़े आता है. इस कारण से कोई साइबर कैफे इस काम को लेने से गुरेज करते हैं. वहीं दूसरी और सुदूर इलाकों में साइबर कैफे की भी कमी है. विद्यालय प्रधानों का कहना है कि विभाग का ध्यान इस ओर जाना आवश्यक है. स्कूलों की समस्या पर जब तक विभाग संजीदा नहीं होगा, तब तक आंकड़ों को अपलोड करने में इसी तरह से महीनों लग जायेंगे. अब तो बच्चों के आधार आधारित आंकड़ों के अपलोड करने के साथ ही उनके परीक्षा परिणाम सहित कई आंकड़ों को अपलोड किया जाना है, जिसके आधार पर विभाग आगे की रणनीति पर काम कर सकेगा.

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