Darbhanga News: दरभंगा. लनामिवि के पीजी भूगोल विभाग में शनिवार को भारत-नेपाल कमला मैत्री मंच द्वारा कमला नदी की सुरक्षा और संरक्षण विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी विभागाध्यक्ष डाॅ विनयनाथ झा की अध्यक्षता में हुआ. इसमें मैत्री मंच की नेपाल शाखा के सचिव विक्रम यादव ने कहा कि कमला के जल-संग्रहण क्षेत्र नेपाल तराई, चूड़िया घाटी एवं महाभारत शृंखला में व्यापक स्तर पर पेड़-पौधा एवं हरियाली को नाश किया गया है. इसे पुनः लगाकर हरित पट्टी करने की आवश्यकता है. उन्होंने नेपाल क्षेत्र में रेत और पत्थर के अवैध उत्खनन पर अविलंब रोक लगाने को आवश्यक बताया. कहा कि इसके लिए भारत और नेपाल सरकार द्वारा ठोस नीति एवं कार्यक्रम तैयार करने की आवश्यकता है. पूर्व प्रधानाचार्य डॉ विद्यानाथ झा ने कहा कि दरभंगा और मधुबनी जिला में कमला नदी अब बरसाती नदी हो गयी है जो काफी चिंता का विषय है. इसके कारण जल संकट गहराया है. इससे खेती-किसानी को नुकसान हुआ है. प्रो. टुनटुन झा ने मिथिला की नदी संस्कृति में कमला नदी की भूमिका पर प्रकाश डाला. डॉ अवनींद्र कुमार झा ने मिथिला के कृषि और व्यापार में कमला नदी के योगदान और महत्व की जानकारी देते हुए नदी की सुरक्षा के लिए इसे जन मुद्दा बनाने पर जोर दिया.
हरित पट्टी के पुन: स्थापन की जरूरत
उमेश राय ने जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में बाढ़ और नदी प्रबंधन के बारे में नये सिरे से सोचने और कार्यक्रम चलाने की जरूरत पर बल दिया. प्रो. इंद्र मोहन चौधरी और डॉ शारदानंद चौधरी ने भारत और नेपाल के बीच कमला नदी की लम्बाई, जलग्रहण क्षेत्र, बढ़ती आबादी से इस नदी को हुए खतरा आदि विषयों पर जानकारी दी. नारायणजी चौधरी ने कमला नदी के क्षेत्र में हुए इकोलॉजिकल डिजास्टर पर अध्ययन करने के लिए स्नातकोत्तर भूगोल विभाग और भारत-नेपाल कमला मैत्री मंच से अनुरोध किया. अध्यक्ष डॉ विनयनाथ झा ने इस तरह का कार्यक्रम दोनों देश में लगातार आयोजित करने पर बल दिया. कहा कि इससे दोनों देश के जल और पर्यावरण की रक्षा हो सकेगी. कार्यक्रम में डॉ कुमारी गुंजन, तसिम नवाब, दिलीप कुमार, अभिषेक, योगेन्द्र यादव, वचनेश्वर झा, उमाकांत यादव, मणिकांत झा, मनोहर झा आदि मौजूद थे. संचालन भारत-नेपाल कमला मैत्री मंच के सचिव अजित कुमार मिश्र ने किया.
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