Darbhanga News: दरभंगा. लनामिवि के कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 कौशल विकास केंद्रित है. इस नीति में छात्रों में कौशल विकास कर उनको आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया गया है. कहा कि शोधकर्ताओं में भी कौशल विकास कैसे हो इसके लिए सेमिनार में चर्चा करने की जरूरत है. छात्र किन विषयों पर शोध करें, इसकी विस्तृत रूपरेखा तैयार करना विभागाध्यक्षों का काम है. वे डीडीई के बीएड नियमित विभाग एवं पीजी दर्शन शास्त्र विभाग की ओर भारतीय समाज विज्ञान शोध परिषद (आइसीएसएसआर) द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोल रहे थे. ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं भारतीय ज्ञान परंपरा एवं विकसित भारत’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए प्रो. चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 गुरुकुल परंपरा के साथ तकनीकी शिक्षा पर जोर देती है. आने वाले समय में विश्वविद्यालयों को भी परंपरागत शिक्षा के साथ तकनीकी शिक्षा केंद्र के रूप में तैयार किया जायेगा.
अपनी भूमिका की समय-समय पर समीक्षा करते रहें शिक्षक- प्रो़ गोपाल कृष्ण
मुख्य वक्ता प्रो. गोपाल कृष्ण ठाकुर ने कहा कि छात्रों में आत्म गौरव के साथ आत्मचिंतन और आलोचनात्मक क्षमता विकसित करने की जरूरत है. जब तक मूल चिंतन को जीवित नहीं रखा जाएगा, तब तक आगे का मार्ग प्रशस्त नहीं हो सकता है. भारतीय परंपरा को आगे बढ़ाने की चिंता सबको होना चाहिए. कहा कि शिक्षकों को अपनी भूमिका की समीक्षा समय-समय पर करते रहना चाहिए.
क्षेत्रीय भाषा के साथ हिंदी और संस्कृत को बढ़ावा देती राष्ट्रीय शिक्षा नीति- प्रो हरेकृष्ण
डीडीई निदेशक प्रो. हरेकृष्ण सिंह ने कहा कि देश की शिक्षा नीति में समय के साथ बदलाव की जरूरत थी. यह शिक्षा नीति कभी भी औचित्यहीन नहीं होगा़ भारत को विश्वगुरु बनाने का कार्य करेगा. कहा कि यह शिक्षा नीति क्षेत्रीय भाषा के साथ हिंदी और संस्कृत को बढ़ावा देती है.
चीन, नेपाल व अन्य देशों पर भी भारतीय परंपरा का रहा है असर- प्रो. सिद्धार्थ
प्रो. सिद्धार्थ शंकर सिंह ने कहा कि चीन, नेपाल व अन्य देशों पर भी भारतीय परंपरा का असर रहा है. कुलसचिव प्रो. विजय कुमार यादव ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा मानव मूल्यों को स्थापित करता है. दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रुद्र कांत अमर ने कहा कि वैदिक परंपरा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जोड़कर देखा जाना चाहिए. परीक्षा नियंत्रक प्रो. विनोद कुमार ओझा ने कहा कि भारतीय परंपरा में त्याग का महत्व है. बीएड (नियमित) के विभागाध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार मिलन ने अतिथियों का स्वागत, पीजी दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ शिवानंद झा ने धन्यवाद ज्ञापन एवं डॉ निधि वत्स ने संचालन किया.इस अवसर स्मारिका का विमोचन भी किया गया.
छह उपविषयों पर प्रतिभागियों ने आलेख पढ़ा
बाद में तीन तकनीकी सत्रों में कुल छह उपविषयों पर प्रतिभागियों ने आलेख पढ़ा. सेमिनार के लिए 237 शोधसार एवं 121 पूर्ण लेख प्राप्त हुए थे़ सेमिनार में डॉ राजीव कुमार, डॉ संजीव कुमार शाह, डॉ शम्भू प्रसाद, डॉ अखिलेश मिश्र, डॉ मिर्जा रुहुल्लाह बेग, डॉ उदय कुमार, डॉ प्रियंका राय, डॉ शुभ्रा, डॉ जय शंकर सिंह, डॉ रेशमा तबस्सुम, कुमार सत्यम, गोविंद कुमार आदि शामिल थे.
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