Darbhanga News: धान की खेतों में पानी लगने से खिल उठे किसानों के चेहरे
Darbhanga News:सावन-भादो की सूखाड़ की भरपाई आश्विन माह की झमाझम बारिश ने पूरी कर दी है. बुधवार की शाम से शुरू हुई रिमझिम बारिश देर रात को अपने रंगत में आ गयी.
Darbhanga News: कमतौल. सावन-भादो की सूखाड़ की भरपाई आश्विन माह की झमाझम बारिश ने पूरी कर दी है. बुधवार की शाम से शुरू हुई रिमझिम बारिश देर रात को अपने रंगत में आ गयी. झमाझम बारिश से लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिल गयी. इसके बाद लगातार तीन दिनों से हल्की व मध्यम बारिश जारी है. इससे अधिकतर सड़कों पर जल जमाव हो गया है. धान की खेतों में पानी लगने से किसानों के चेहरे खिल गये हैं. 72 घंटे से अधिक समय से जारी बारिश के कारण जहां दिन व रात के तापमान में गिरावट दर्ज की गयी है. वहीं, बारिश के कारण मौसम सुहावना हो गया है. दिन का तापमान लुढ़क कर 26 डिग्री के आसपास पहुंच गया है. वहीं रात का तापमान 24 डिग्री के आसपास रहने लगा है. जाले प्रखंड कृषि कार्यालय के आकड़े के मुताबिक पिछले चार दिनों में 69.02 एमएम बारिश हुई है. बीएओ उपेंद्र प्रसाद ने बताया कि 25 सितंबर को 12.6 एमएम, 26 को 8.2 एमएम, 27 को 18.2 एमएम व 28 सितंबर को 11 बजे तक 30.2 एमएम बारिश दर्ज हुई है.
शास्त्रों के अनुसार 15-16 दिन तक रहता है हथिया नक्षत्र
25 सितंबर की दोपहर से हल्की हवा व बूंदा-बांदी शुरू हुई, जो रात्रि में रिमझिम बारिश के रूप में तब्दील हो गयी. उत्तरा नक्षत्र की अंतिम बारिश ने अधिकतम तापमान में 4-5 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान में 3-4 डिग्री सेल्सियस तक की कमी लायी है. इस वजह से मौसम खुशगवार हो गया है. किसानों का कहना है कि यह लाभप्रद व बेहतरीन बारिश है. अब किसानों की नजरें हथिया नक्षत्र पर टिकी हुई है, हालांकि अब धान की उपज को उत्तरा नक्षत्र की बारिश से पूरी संजीवनी मिल चुकी है. अहियारी के किसान राघवेंद्र ठाकुर, मोहन महतो, गिरबल महतो, चनुआटोल के राधेश्याम पंडित, सीताराम शर्मा, मिर्जापुर के महेंद्र यादव, कुम्हरौली के धर्मेंद्र यादव, कमतौल के अमरेंद्र कुमार, बेलबाड़ा के धीरेंद्र कुमार आदि ने बताया कि तेज धूप व उमस भरी गर्मी से परेशानी बढ़ गयी थी. धान की फसल सूखने लगी थी. महंगे डीजल खरीद कर सिंचाई कर पाना संभव नहीं हो पा रहा था, लेकिन अब काफी राहत मिल गयी है. किसानों ने बताया कि अब उम्मीद है कि फसल बच जाएगी और उपज भी होगी. किसानों ने बताया कि सीजन में काफी कम बारिश होने के कारण धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है, फिर भी यह बारिश फसल को बचाने में काफी मददगार साबित हुआ है. आचार्य श्याम शास्त्री ने बताया कि मौसम का मिजाज बदल गया है. लोगों को आश्विन महीने में सावन-भादो का एहसास हो रहा है, मानों अभी मानसून की एंट्री ही हुई है. शास्त्रों के अनुसार हथिया नक्षत्र 15-16 दिन तक रहता है. ऐसे में आगामी एक पखवाड़े तक बारिश की संभावना को खत्म नहीं किया जा सकता है. आश्विन महीने में मौसम के गर्म मिजाज से लोग परेशान थे. धान के साथ ही अन्य फसलों की स्थिति भी खराब होने लगी थी, लेकिन इस बारिश से सभी लोगों को राहत है. किसानों में खुशी है और मौसम के तापमान में गिरावट से उमस व तपिश से लोगों को निजात मिल गयी है. ठंडी हवा में तेजी दिखने लगी है, आसमान में काले बादल छाए हुए हैं. बारिश के कारण गली मोहल्लों में जलजमाव हो गया है. इसके कारण आवागमन में परेशानी बढ़ गयी है. इधर, धान के खेतों में अब पर्याप्त पानी नजर आने लगा है, जिससे अच्छी फसल की आस बढ़ गयी है. वहीं किसानों ने खेतों में नमी के बाद खाद का छिड़काव करना शुरू कर दिया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है