Darbhanga News: प्रवीण कुमार चौधरी, दरभंगा. ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के किसी कर्मचारी ने ऑरिजनल बताकर दो छात्राओं के हाथों बीएड का नकली प्रोविजनल सर्टिफिकेट बेच दिया. जानकारी मिलने पर विश्वविद्यालय ने मामले की जांच को लेकर कमेटी गठित कर दी है. कमेटी को पांच दिनों में जांच रिपोर्ट देने को कहा गया है. जानकारी के अनुसार जारी किये गये प्रोविजनल सर्टिफिकेट का मूल प्रारूप लनामिवि का है. इस पर अधिकारियों एवं कर्मियों का नकली दस्तखत है. साथ ही पिछले परीक्षा नियंत्रक की मुहर का उपयोग किया गया है. दो सितंबर 2024 की तिथि में बीएड सत्र 2022-24 की दो छात्राओं के नाम यह अवैध प्रमाण पत्र जारी है. लनामिवि के अधीन संचालित बीएड काॅलेज की दोनों छात्रा है. नकली प्रोविजनल सर्टिफिकेट की क्रम संख्या क्रमशः 2188 एवं 2192 है. बताया जाता है कि विवि के एक बड़े अधिकारी को किसी ने दोनों प्रमाण पत्र का फोटो खींच कर भेजा था. भेजने वाले ने कहा कि ऑरिजनल सर्टिफिकेट के नाम पर मोटी रकम ली गयी तथा नकली प्रोविजनल सर्टिफिकेट थमा दिया गया.
पिछले साल अगस्त माह में ही गायब कर दिया गया था प्रारूप
सूत्रों की मानें तो दोनों नकली सर्टिफिकेट विवि के प्रोविजनल सर्टिफिकेट के वॉल्यूम का ही पेज है, लेकिन उसे विश्वविद्यालय द्वारा जारी नहीं किया गया है. जिस वाल्यूम से वर्ष 2023 के अगस्त में प्रोविजनल सर्टिफिकेट जारी किया गया था, उसके सात पेज गायब हैं. सातों पन्नों का अधकट्टी वाल्यूम में है, जिस पर कोई विवरणी नहीं है. जबकि गायब सात पेज से पहले एवं बाद वाले पेज से जारी सर्टिफिकेट के अधकट्टी पर संबंधित विवरण अंकित है. सूत्रों का कहना है कि या तो सर्टिफिकेट बनाने वाले की पेज गायब करने में सहभागिता होगी या उसने पेज गायब होने की जानकारी तब अपने अधिकारी को दी होगी. संभव है कि अधिकारी ने चिह्नित कर्मचारी को दंडित करते हुए अपनी साख बचाने के लिए तब मामले काे दबा दिया होगा.
सात लोग बने होंगे या बनेंगे शिकार
प्रोविजनल सर्टिफिकेट के वॉल्यूम से सात पन्ना गायब करने वालों ने मोटी रकम लेकर जिस तरह से इन दो छात्राओं को शिकार बनाया है, उसी तरह से अन्य पांच नकली सर्टिफिकेट को बेच दिया होगा. नहीं तो वह नये शिकार की तलाश कर रहा होगा.कहते हैं परीक्षा नियंत्रक
परीक्षा नियंत्रक प्रो. विनोद कुमार ओझा ने बताया कि फर्जी प्रोविजनल सर्टिफिकेट मामले में इंक्वायरी सेटअप कर दी गयी है. शीघ्र जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है. साक्ष्य के रूप में दिये गये सर्टिफिकेट विश्वविद्यालय ने जारी नहीं किया है. उस पर जिस कर्मचारी का हस्ताक्षर है, वह भी फर्जी है. पुराने परीक्षा नियंत्रक की मुहर का इस्तेमाल हुआ है. जल्द ही पूरा मामला सामने आ जायेगा. जो भी इसमें संलिप्त होंगे, उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है