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Darbhanga News: राष्ट्रीय हित, लोकतंत्रित मूल्य, मानवाधिकारों के सम्मान और बहुपक्षवाद पर आधारित है देश की विदेश नीति

Darbhanga News:लनामिवि के पीजी राजनीति विज्ञान विभाग के डॉ अंबेडकर चेयर की ओर से विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव की अध्यक्षता में "वैश्विक संकट के दौर में भारतीय विदेश नीति की भूमिका " विषय पर संगोष्ठी हुई.

Darbhanga News: दरभंगा. लनामिवि के पीजी राजनीति विज्ञान विभाग के डॉ अंबेडकर चेयर की ओर से विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव की अध्यक्षता में “वैश्विक संकट के दौर में भारतीय विदेश नीति की भूमिका ” विषय पर संगोष्ठी हुई. मुख्य अतिथि सह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पंडित दीनदयाल उपाध्याय अध्ययन पीठ के निदेशक प्रो. मधुरेंद्र कुमार ने कहा कि भारत की विदेश नीति, राष्ट्रीय हित, लोकतंत्र के मूल्यों, मानवाधिकारों के सम्मान और बहुपक्षवाद पर आधारित है. भारत 1961 ई. में गुटनिरपेक्ष देशों की सूची में शामिल हुआ. भारत का सदैव से प्रयास रहा है, कि वह शांति का साथ दे और बातचीत के पटल पर ही किसी भी मुद्दे को सुलझाए. बीते कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर देश का दौरा कर रहे हैं. भारत का प्रयास है कि विश्व के सभी देशों से मधुर व प्रगाढ़ संबंध रखा जाय. नेहरू जी से लेकर मोदी जी तक भारत के सभी प्रधानमंत्री का यह लक्ष्य रहा है कि मजबूत देशों के साथ-साथ कमजोर देशों की तरक्की भी भारतीय विदेश नीति का हिस्सा है. इसके तहत कई देशों से व्यापारिक संबंध बढ़ाए गये हैं. कमजोर देशों को मदद दी गयी है.

कोरोना काल में विश्व को दिया मानव कल्याण का संदेश

कहा कि कोरोना जैसे विषमकाल में भी भारत ने कई देशों को कोरोना वैक्सीन मुफ्त में उपलब्ध करायी. राष्ट्र कल्याण से ऊपर उठकर मानव कल्याण का संदेश विश्व को दिया है. सामरिक दृष्टिकोण से भी देखें तो भारत युद्ध में नहीं बल्कि भगवान बुद्ध में विश्वास रखता है. लेकिन, आगे बढ़कर कोई भारत को छेड़ता है, तो फिर उसे छोड़ता भी नहीं है. कहा कि आज भारत अपनी सुरक्षा स्वयं करने का माद्दा रखता है. सामरिक दृष्टिकोण से भारत आत्मनिर्भर है.

भारत की कूटनीति आज मजबूत हाथों में

प्रो. मधुरेंद्र ने कहा कि भारत की कूटनीति मजबूत हाथों में है. अपनी कूटनीति के बल पर भारत विश्व के शीर्ष देशों की सूची में शुमार है.

पड़ोसी देशों से मधुर संबंध बनाकर रखना चाहता भारत- प्रो. मुनेश्वर

विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव ने कहा कि भारत की विदेश नीति समय दर समय बदलती रही है. हर प्रधानमंत्री के कार्यकाल में कुछ न कुछ बदलाव होता रहा है, लेकिन ओवरऑल देखा जाय तो बीते 75 वर्षों में भारतीय विदेश नीति में कुछ समानता दिखी. भारत अपने सभी पड़ोसी देशों से मधुर संबंध बनाकर रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा. समय समय पर सबको विशेष मदद भी करता रहा है. विश्व की प्रमुख शक्तिशाली देशों के साथ भारत प्रगाढ़ संबंध रखे है. संगोष्ठी में नीतू कुमारी, रघुवीर कुमार रंजन, आशुतोष पांडेय, जितेंद्र, रिकी, रामकृपाल आदि मौजूद थे. संचालन मुकुल बिहारी वर्मा तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ मनोज कुमार ने किया.

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