Darbhanga News: दरभंगा. ग्राम-गाथा की पुस्तक ””हमर गामक माटि”” दरभंगा के पंचोभ गांव के प्रति लेखिका के अनुराग, भक्ति और निष्ठा का परिणाम है. यह बात साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित मैथिली के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ भीमनाथ झा ने कही. रविवार को स्थानीय राजकुमारगंज स्थित बाबूजीक लाइब्रेरी सभागार में वे डाॅ उषा चौधरी की पुस्तक ””हमर गामक माटि”” के लोकार्पण-समारोह सह समीक्षा-गोष्ठी में अध्यक्ष पद से बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि यह पुस्तक लोगों को विभिन्न तथ्यों से अवगत कराता है, जो इस गांव के लोग हैं उन्हें गौरव से भरता है. उनके लिए सार्थक कृति है. जो गांव को नहीं जानते, उनके लिए परिचय प्राप्त करने की दृष्टि से काफी उपादेय है. डॉ झा ने कहा कि इस पुस्तक को शोध-ग्रंथ मानकर नहीं पढ़ा जाना चाहिए. यह गांव की परिचायिका सरीखी है. पुस्तक का लोकार्पण करते हुए साहित्य अकादमी में मैथिली की पूर्व प्रतिनिधि डॉ वीणा ठाकुर ने कहा कि गांव का कण-कण बेटी की धमनी में भी रक्त की तरह प्रवाहित होता है जो इस पुस्तक को देखने से स्पष्ट होता है. आज स्थिति ऐसी होती जा रही है कि नयी पीढ़ी गांव तथा ग्रामवासियों को भी नहीं जानती. इस दृष्टि से यह पुस्तक काफी उपयोगी है. संगीत, कला, नृत्य आदि के क्षेत्र में पंचोभ की महत्ता का जिक्र करते हुए डॉ ठाकुर ने कहा कि इस गांव की खासियत है कि गरीब-गुुरबे भी आत्मबल से भरे होते हैं. गांव की एकता इसकी सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विशेषता है. मुख्य वक्ता के रूप में मैथिली के कथाकार-समीक्षक रमेश ने कहा कि वर्तमान में गांव ग्लोबल होता जा रहा है. गांव का डॉक्यूमेंटेशन अच्छी बात है. अपने गांव की मिट्टी के प्रति गौरव भी प्रशंसनीय है, किंतु आवश्यकता इस बात की है कि गांव का यथार्थ भी लेखन में आए. उन्होंने कहा कि इस तरह की पुस्तकों में भी सिर्फ गुण नहीं गाये जायें, आलोचना भी आनी चाहिए. इस अवसर पर मैथिली के साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ अमलेन्दु शेखर पाठक ने संचालन करते हुए कहा कि पुस्तक के तथ्य खेत में बीज डालने सरीखा है, जिसमें आगे फसलें जरूर लहलहाएंगी. हीरेन्द्र कुमार झा ने गांवों से विविध कारणों से पलायन के मद्देनजर पुस्तक को काफी उपयोगी माना. वहीं चंद्रधारी मिथिला महाविद्यालय की मैथिली विभागाध्यक्षा डॉ रागिनी रंजन ने कहा कि आज से सौ साल पहले जिस तरह विधवा विवाह के क्षेत्र में पंचोभ ने क्रांतिकारी कदम उठाया था, वह प्रेरणादायक है. मौके पर डॉ कृष्ण कुमार, प्रो. रमेश झा, डॉ सुरेंद्र भारद्वाज, डॉ धीरज कुमार झा, डॉ राजीव कुमार चौधरी, लक्ष्मी सिंह ठाकुर आदि ने भी विचार रखे. राजेश कुमार सिंह ठाकुर के आभार प्रदर्शन से संपन्न कार्यक्रम में लेखिका डॉ उषा चौधरी ने भी अपनी लेखन प्रक्रिया से अवगत कराया.
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