Darbhanga News: संस्कृति के बल पर हिंदी ने हासिल की वैश्विक मुकाम
Darbhanga News:प्रो. उमेश कुमार की अध्यक्षता में ‘हिंदी का सांस्कृतिक महत्व’ विषयक संगोष्ठी, ‘तकनीकी क्षेत्र में हिंदी’ विषय पर भाषण प्रतियोगिता तथा काव्य पाठ हुआ.
Darbhanga News:दरभंगा. हिंदी दिवस पर लनामिवि के पीजी हिंदी विभाग में प्रो. उमेश कुमार की अध्यक्षता में ‘हिंदी का सांस्कृतिक महत्व’ विषयक संगोष्ठी, ‘तकनीकी क्षेत्र में हिंदी’ विषय पर भाषण प्रतियोगिता तथा काव्य पाठ हुआ. विभागाध्यक्ष प्रो. कुमार ने कहा कि हिंदी आज अपनों से ही हार रही है. हिंदी तभी तक जिंदा है, जब तक उसके साथ संस्कृति जुड़ी हुई है. संस्कृति के बल पर ही हिंदी ने अपना वैश्विक मुकाम हासिल किया है. कहा कि हिंदी को केवल नौकरी-रोज़गार तक सीमित कर नहीं, बल्कि उसकी सांस्कृतिक विस्तृत परिधि को तलाशना होगा. डॉ सुरेंद्र सुमन ने कहा कि हिंदी अनेक बोलियों, उपभाषाओं, तत्सम, तद्भव शब्दों से मिलकर बनी है. इसी तरह खड़ी बोली से हिंदी के साथ उर्दू भी बनी है. सामासिकता इस भाषा का प्राण है. हिंदी को सामासिक संस्कृति से काट दिया जाएगा तो भाषा ही मृतप्राय हो जाएगी. संचालन डॉ आनंद प्रकाश गुप्ता ने किया. कहा कि हिंदी को राजभाषा का दर्जा भले ही 14 सितंबर 1949 को ही मिल गया, लेकिन ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देखें, तो हिंदी ने शताब्दियों के संघर्ष से अपना रास्ता बनाया है. विषय प्रवेश कंचन रजक तथा धन्यवाद ज्ञापन समीर कुमार ने किया.
भाषण प्रतियोगिता एवं काव्य-पाठ में छात्रों ने लिया भाग
भाषण प्रतियोगिता एवं काव्य-पाठ का भी आयोजन किया गया. दुर्गानंद ठाकुर, मलय नीरव, रोहित पटेल, शिवम झा शांडिल्य, रूपक कुमार, अंशु कुमारी, खुशबू कुमारी, संध्या राय, मनोज कुमार, जयप्रकाश कुमार, विक्रम कुमार, अमरेन्द्र, अभिषेक, कृति, पम्मी कुमारी, स्नेहा, राहुल राज, दर्शन सुधाकर, राजनाथ पंडित, गुंजन कुमारी आदि ने इसमें भाग लिया
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है