डीएमसीएच में रेडियोलॉजी विभाग के जूनियर डॉक्टरों की जांच रिपोर्ट पर दवा लिखते वरीय डॉक्टर

उत्तर बिहार का प्रतिष्ठित संस्थान डीएमसीएच के रेडियोलॉजी विभाग में मरीजों को अल्ट्रासाउंड जांच के बाद प्लेट नहीं दी जाती है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 24, 2024 11:06 PM

दरभंगा. उत्तर बिहार का प्रतिष्ठित संस्थान डीएमसीएच के रेडियोलॉजी विभाग में मरीजों को अल्ट्रासाउंड जांच के बाद प्लेट नहीं दी जाती है. मरीज व परिजनों को केवल रिपोर्ट थमा दी जाती है. सामान्य तौर पर विभाग के जूनियर डॉक्टर ही मरीजों की अल्ट्रासाउंड जांच करते हैं. इसके बाद वे कंप्यूटर स्क्रीन पर फोटो देखकर रिपोर्ट जारी करते हैं. इसी रिपोर्ट के आधार पर अस्पताल के वरीय चिकित्सक मरीजों को दवा लिखते है. वरीय चिकित्सकों को मरीज का अल्ट्रासाउंड प्लेट देखने को नहीं मिलता है. जूनियर चिकित्सक की रिपोर्ट पर मरीज की आगे की चिकित्सकीय प्रक्रिया जारी रहती है. डॉक्टरों का कहना है कि अगर विभाग की ओर से प्लेट मुहैया कराया जाता तो, उसका अध्ययन कर जानकार रेडियोलॉजिस्ट या जानकार चिकित्सक मरीजों को सटीक चिकित्सा सुविधा मुहैया करा सकते थे. मरीज व परिजनों ने बताया कि बीमारी सही नहीं होने पर, दूसरी जगह जाने पर डॉक्टर प्लेट की मांग करते हैं. इस स्थिति में दोबारा जांच करानी पड़ती है. जानकारी के अनुसार अल्ट्रासाउंड विभाग में यह स्थिति वर्षों से बनी है. विभाग में प्लेट की आपूर्ति नहीं किये जाने के कारण विकल्प के तौर पर सिर्फ रिपोर्ट देने की प्रक्रिया सालों पूर्व प्रारंभ की गयी थी. तब से यह लगातार जारी है. अस्पताल प्रशासन इस समस्या की ओर अब ध्यान भी नहीं दे रहा. इसका खामियाजा मरीज व परिजनों को भुगतना पड़ रहा है. रेडियोलॉजी विभाग में विभिन्न प्रकार की जांच को लेकर रोजाना अफरा- तफरी की स्थिति रहती है. जांच के लिये मरीजों को अहले सुबह ही नंबर लगाना पड़ता है. विलंब होने की स्थिति में मरीज व परिजनों को दूसरे दिन बुलाया जाता है. जानकारी के अनुसार अल्ट्रासाउंड विभाग में रोजाना 150 से अधिक मरीजों की जांच होती है. पूर्व विभागाध्यक्ष मेडिसिन डॉ बीके सिंह ने बताया कि 2018 में मेडिसिन विभागाध्यक्ष से सेवानिवृत्त हुआ हूं. उससे पूर्व से ही विभाग में अल्ट्रासाउंड जांच के बाद प्लेट नहीं दिया जाता था. यह स्थिति अभी भी है. प्लेट नहीं देने से रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सकों की चिकित्सा पर असर पड़ता है. जूनियर डॉक्टरों की रिपोर्ट देखकर ही दवा लिखनी होती है. अधीक्षक डॉ अलका झा ने बताया कि मुझे विभाग की ओर से इस समस्या को लेकर अबतक कोई जानकारी नहीं दी गयी है. इसे लेकर विभागाध्यक्ष से बात करेंगे.

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