कल-कल बहने वाली सदा नीरा कमला नदी में बच्चे खेलते क्रिकेट
बदन झुलसाती धूप के कारण सदा नीरा नदियां भी सूख गयी हैं.
सुधीर कुमार चौधरी, कुशेश्वरस्थान. बदन झुलसाती धूप के कारण सदा नीरा नदियां भी सूख गयी हैं. पानी से लबालब भरा रहनेवाला नदी का पेट सपाट मैदान नजर आ रहा है, जिसमें बच्चे जमकर चौके-छक्के उड़ाते दिख रहे हैं. इस वजह से मछुआरों के जीविकोपार्जन के रास्ते बंद हो गये हैं. वहीं खेती भी चौपट हो रही है. मालूम हो कि प्रखंड के बैरो, बथनाहा, विषहरिया, मोहिम खुर्द, मोहिम बुजुर्ग, लरांच, लरांच घाट, लठिधारा, रहुआ महराजी, बनरझुला, सनहौली, नदियामी, हरिनगर, चातर, महरी सहित दो दर्जन से अधिक गांव के अधिकांश लोगों के रोजगार का एकमात्र साधन मछली की शिकारमाही हुआ करती थी. मछुआरे सालों भर मछली मारकर अपने परिजनों के भरण-पोषण संग बेटे-बेटी की शादी व बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाते थे. इस क्षेत्र से प्रतिदिन हजारों क्विंटल मछली बेरि चौक मछहट्टा पर बिक्री के लिए आती थी. बेरि चौक से इस क्षेत्र की सिंघी, मांगुर, रेहू, चेचरा, बचबा, सौराठी, झिंगा, कबइ सहित विभिन्न किस्म की मछली सिल्लीगुड़ी भेजी जाती थी, परंतु वर्तमान में बेरि चौक मछहट्टा वीरान पड़ा है. बाढ़ की राजधानी के नाम से कुख्यात कुशेश्वरस्थान में कमला की उपधारा, जीवछ व भरैन नदी समेत नाला व तालाब पूरी तरह सूख गये हैं. भीषण गर्मी व आग बरसाती धूप के कारण अधिकांश नदी-नाले की तलहटी में दारारे दिख रही हैं. मछुआ सोसाइटी से बंदोबस्त लिए नदी-नालों की सैरात में लगे हजारों लाखों रुपये भी नदियों के सूखते ही डूब गये. वहीं नदी-नाले के पानी सूख जाने से मछुआरों के संग आमलोगों के नाव भी बर्बाद होने के कगार पर पहुंच गये हैं. सूखी पड़ी इन नदियों को बच्चों ने क्रिकेट का मैदान बना डाला है. इन नदियों के सूख जाने से हजाड़ों एकड़ खेतों में लगी मक्के फसल को बचाने की जद्दोजहद में किसान परेशान हैं. फसल को बर्बाद होने से बचाने के लिये सक्षम किसान इक्का-दुक्का बोरिंग लगा पटवन कर रहे हैं. किसानों के समक्ष अब दूसरी समस्या खरीफ फसल की बोआई है. बारिश नहीं होने से बिना पटवन के खरीफ फसल की बोआई किसान कैसे करेंगे.
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