दरभंगा. पुराने दरभंगा-सकरी सड़क मार्ग पर अवस्थित कंगवा रेल गुमटी फाटक संख्या 28 एवं बेला रेल फाटक संख्या एक पर शिलान्यास के महीनों गुजर जाने के बाद भी निर्माण कार्य आरंभ नहीं हुआ है. इससे क्षेत्रवासियों की उम्मीद पर पानी फिर गया है. सड़क जाम से निजात के लिए इस रेल फाटक पर रोड ओवर ब्रिज का निर्माण बेहद जरूरी है. आरओबी निर्माण की स्वीकृति के बाद लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 26 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से इस रेल फाटक पर पुल निर्माण की आधारशिला रखी थी. इसके चार माह गुजर जाने के बावजूद धरातल पर कुछ भी काम आरंभ नहीं हुआ है. इससे निराशा गहरी होती जा रही है. यूं तो शहर के सभी रेल फाटक सड़क जाम को बढ़ावा दे रही है, लेकिन इन सभी में कंगवा रेल फाटक कुछ ज्यादा ही परेशानी का सबब बना हुआ है. कारण, यहां दो रेल फाटक हैं, जो आमने-सामने हैं. दोनों दो रेल खंड के लिए है. दरभंगा जंक्शन से उत्तर दिशा की ओर बढ़ने के बाद एक रेल लाइन जहां सीतामढ़ी खंड के लिए निकल जाती है, वहीं दूसरी लाइन जयनगर-निर्मली के लिए चली जाती है्. ऐसी में किसी भी खंड पर ट्रेनों की आवाजाही होने पर फाटक बंद कर दिया जाता है, जो लंबे समय तक बंद रहता है. इसका खामियाजा राहगीरों को नित्य भुगतना पड़ता है. इस रेल फाटकों के पूरब बड़ी आबादी निवास करती है. शहर से सटे ग्रामीण इलाकों के साथ ही नगर निगम का क्षेत्र आता है. उस इलाके के लोगों के लिए शहर में प्रवेश का यह मुख्य मार्ग है. लिहाजा नित्य परेशानी झेलनी पड़ती है. इससे स्कूली बच्चों को भी रोज समस्या का सामना करना पड़ता है. इन रेल फाटकों पर 127.40 करोड़ से आरओबी का निर्माण होना है. सूत्र बताते हैं कि अभीतक निर्माण स्थल पर भूमि का सीमाकंन तक नहीं किया जा सका है. लिहाजा लोग इसे चुनावी शिलान्यास कहने लगे हैं. वैसे अन्य रेल फाटकों की तरह यहां भी आरओबी निर्माण की स्वीकृति वर्षों पूर्व दी गयी थी, लेकिन अभीतक धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा.
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