दरभंगा. महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह मेमोरियल काॅलेज में साहित्यकार डॉ अमरकांत कुमार रचित गजल-संग्रह ””””समय के साये”””” और गीत संग्रह”””” गा बंजारा”””” का विमोचन समारोहपूर्वक हुआ. समारोह में साहित्यकार प्रो. रत्नेश्वर सिंह ने पुस्तक के लेखक डाॅ कुमर को जमीनी काव्यकार बताते हुए कहा कि जो चोट हृदय पर लगती है, वह गीत-गजल बन जाती है. उन्होंने विमोचित पुस्तकों से भी गीत-गजलों की कुछ पंक्तियों काे उद्धृत किया. सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष प्रो. अजीत कुमार वर्मा ने कहा कि डॉ अमरकांत के गीत गजल प्राण वायु का काम करते हैं और मुर्दों में भी प्राण फूंकते हैं. उन्होंने डॉ कुमर के स्वर को भी अमृतवर्षक बताया. समारोह की अध्यक्षता कर रहे सेवानिवृत्त हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. प्रभाकर पाठक ने दरभंगा के तीन गीत-गजलकरों में डॉ कुमर को रेखांकित करते हुए कहा कि कविता हृदय का स्वच्छंद प्रवाह है और गीत-गजल आदि उसकी लोक लहरें हैं. दोनों पुस्तकें डॉ अमरकांत की सारस्वत साधना का फल है. हिंदी साहित्यकार प्रो. कलानाथ मिश्र ने मौके पर कहा कि पीड़ा के पारावार से ही गीत-गजल निकलते हैं. उन्होंने दोनों पुस्तकों की रचनाओं के माध्यम से डॉ कुमर को आदर्श रचनाकार बताया. पीजी हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ उमेश कुमार उत्पल ने डॉ अमरकांत की कलम को क्रांतिकरिणी बताते हुए कहा कि दोनों पुस्तकें इनके दिल की आवाज है. इस अवसर पर साहित्यकार शंकर प्रलामी, हिंदी विभाग के सेवानिवृत्त प्राध्यापक डॉ कृष्ण कुमार झा ने डॉ कुमर के गीत मन महकने लगा, तन बहकने लगा का गान करते हुए कहा कि इनके गीत और गजलों में आत्मिक गहराई की शहनाई बजती है. कॉलेज संस्थापक डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू आदि ने भी विचार व्यक्त किया. समारोह के अंत में डॉ अमरकांत कुमर ने सदय: प्रकाशित पुस्तकों से गीत और गजल का गायन कर अतिथियों सहित तमाम दर्शक श्रोताओं को मंत्र-मुग्ध कर दिया. अतिथियों का स्वागत प्रधानाचार्य डाॅ शंभु कुमार यादव, संचालन डॉ रामचंद्र सिंह चंद्रेश तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ ज्वालाचंद चौधरी ने किया.
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