बहादुरपुर. खरीफ कर्मशाला का मुख्य उद्देश्य किसानों के लिए चलाये जा रहे योजनाओं की जानकारी पदाधिकारी, कृषि समन्वयक व किसान सलाहकार तक पहुंचना है. ये बातें मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित संयुक्त निदेशक (रसायन) जैविक व कंपोस्ट पूर्णेंदु नाथ झा ने लहेरियासराय स्थित प्रेक्षागृह में आयोजित जिला स्तरीय खरीफ कर्मशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम में सोमवार को कही. उन्होंने कहा कि किसानों को क्लस्टर में खेती करने की जरूरत है. खेती करने से पहले क्लस्टर की मिट्टी जांच जरूरी है. साथ ही सभी कृषि कर्मी को हरहाल में विभाग द्वारा दिए गये लक्ष्य को पूरा करना है. जिनका प्रदर्शन खराब होगा, उनके विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने कर्मियों को किसानों के प्रति संवेदनशील रहने का निर्देश दिया. वहीं डीएओ सह आत्मा परियोजना निदेशक विपिन बिहारी सिन्हा ने कहा कि प्रत्येक वर्ष खरीफ व रबी कर्मशाला का आयोजन किया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य पिछले एक साल में कौन-कौन सी नई तकनीकी आयी है, इसके बारे में किसानों को आधुनिक जानकारी देना है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में खरीफ फसल के लिए भी ससमय किसानों के बीच बीज का वितरण किया जायेगा. जिला का अधिकांश क्षेत्र बाढ़ प्रभावित है. यहां पोखर व तालाब की संख्या अधिक है. ऐसे में किसानों को पारंपरिक फसल के अलावा मखाना व मत्स्य पालन की खेती करनी चाहिए. जाले कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ दिव्यांशु शेखर ने कहा कि धान की खेती में बीज प्रभेद का चुनाव महत्वपूर्ण है. किसानों को निचली भूमि में लंबी अवधि, मध्यम भूमि में मध्यम अवधि व उपरी भूमि में कम अवधि के प्रभेद की बीज का प्रयोग करना चाहिए, ताकि सही समय पर धान की कटनी हो सके. क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र बिरौल के सहायक प्राध्यापक डॉ मो. साजिद हुसैन ने कहा कि गेहूं की तरह धान की सीधी बोआई करने से नर्सरी व रोपनी का पैसा किसानों को बच जाता है. इससे किसान अधिक मुनाफा कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि मानसून से पहले 15 जून से 30 जून के बीच किसान धान की सीधी बोआई कर लें. उन्होंने उचित नमी पर सीड ड्रिल के माध्यम से दो से तीन सेंटीमीटर नीचे धान की बीज की बोआई करने की बात कही. नाबार्ड की डीडीएम राजनंदनी ने कहा कि यहां के लोगों को फसल का भंडारण करने में समस्या होती है. इसके लिए किसानों को अनाज भंडारण के लिए 25 से 35 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है. सहायक निदेशक उद्यान नीरज कुमार झा ने उद्यान विभाग से संबंधित योजनाओं की जानकारी दी. सहायक निदेशक बीज विश्लेषण अमित रंजन ने कहा कि बीज की बोआई से पहले उसका उपचार आवश्यक है. किसान बीज का उपचार कर बोआई करते हैं तो बाद में पौधे में रोग लगने की संभावना कम रहती है. सहायक निदेशक पौधा संरक्षण मो. शाहिद जमाल ने पौधे में होने वाले बीमारी व उपाय के बारे में बताया. सहायक निदेशक रसायन मिट्टी जांच प्रयोगशाला डॉ अनु ने किसानों को मिट्टी जांच कर आवश्यक उर्वरक उपयोग करने की सलाह दी. मौके पर सहायक निदेशक प्रक्षेत्र नगमा सदाफ, उप परियोजना निदेशक अंबा कुमारी, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी हरिमोहन मिश्र, सभी प्रखंड के बीएओ, एटीएम, बीटीएम, कृषि समन्वयक, किसान सलाहकार सहित अन्य विभागों के पदाधिकारी मौजूद थे.
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