बेनीपुर. अतिवृष्टि-अनावृष्टि की दोहरी मार झेल रहे क्षेत्र के किसानों के समक्ष अब जानवरों का उत्पात कहर बनकर खड़ा है. ये जानवर खेतों में लगे हरे-भरे फसल को नुकसान कर किसानों के समक्ष आफत खड़ी कर रहे है. स्थानीय स्तर पर किसान अनावृष्टि व अतिवृष्टि से लगातार त्रस्त ही रहे हैं. इस बीच आफत के रूप में जंगली जानवरों का उत्पात किसानों के सामने बड़ी मुसीबत बनकर खड़ी हो गयी है. नीलगाय, सूअर व बंदरों ने उत्पात मचाकर हरे-भरे फसलों को नष्ट कर रहे हैं, लेकिन सरकार की अदूरदर्शिता के कारण किसान किंकर्तव्यविमूढ़ बने हुए हैं. किसानों ने मूंग, मरुआ, मक्का, सकरकंद की खेती तो जंगली जानवरों के उत्पात के कारण लगभग छोड़ ही दी हैं. अब पारंपरिक खेती धान व गेहूं पर भी जंगली जानवरों का कहर शुरू है. सफल की बोआई के समय से ही बंदर बिचड़ा चुनकर खाना शुरु कर देते हैं. उसके बाद पौधे निकलते ही सूअरों व नीलगाय की झुंड उस पौधे को बर्बाद कर देती है. हावीभौआर के किसान महेंद्र नारायण झा ने बताया कि क्षेत्र में नीलगाय के उपद्रव से किसान अब खेती करना छोड़ दिये हैं. लगभग एक बीघा में मूंग की फसल बोआ था, लेकिन नीलगाय ने उसे लील लिया. इतना ही नहीं नीलगाय लोगों को मारकर जख्मी भी कर देती है. उसके डर से किसान अपने सामने में लहलहाती फसल बर्बाद होते देख मूकदर्शक बने रहते हैं. सरकार द्वारा इन जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा के लिए कोई उपाय नहीं की गयी तो किसानों की हालत दिन-ब-दिन बद से बदतर हो जायेगी. वही महिनाम, पोहद्दी, पौड़ी, डखराम, चौगमा, बलनी के किसान रामाज्ञा मिश्र, रामनरेश झा, वकील मुखिया, सुशील चौधरी, गगनेंद्र नाथ झा, अमरनाथ झा, कामेश्वर चौपाल, चंद्रदेव ठाकुर, बैद्यनाथ चौधरी, कमल ठाकुर आदि ने बताया कि इसे लेकर अनुमंडल कार्यालय से लेकर वन विभाग तक गुहार लगाकर थक चुका हूं, परंतु इस दिशा में किसी भी अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की निगाहें नहीं जा रही है. इस संबंध में पूछने पर अनुमंडल पदाधिकारी शंभुनाथ झा ने बताया कि किसानों से मिली शिकायत पर वन विभाग को त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया गया है. दूसरी ओर वन विभाग के क्षेत्रीय वन प्रभारी ने बताया कि जंगली जानवरों को सुट एंड साइट करने का अधिकार नहीं है और न ही हाल-फिलहाल में किसी प्रकार का दिशा-निर्देश मिला है.
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