अलीनगर. इलाके में 22 दिनों से एक बूंद भी बारिश नहीं हुई है. खेतों में दरारें पड़ रही हैं. फसल झुलस रही है. किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है. हालांकि कई किसान निजी अथवा भाड़े के पंपसेट से पटवन कर झुलस रहे धान की फसल को बचाने की कोशिश में लगे हैं, लेकिन भीषण गर्मी व कड़ी धूप के कारण अधिक फायदा नजर नहीं आ रहा. बता दें कि अनावृष्टि का सामना करने के बावजूद किसानों ने जैसे-तैसे पंपसेट आदि से पटवन कर बिचड़ा भी तैयार किया था. वहीं थोड़ी-बहुत बारिश हो जाने के बाद ही पंपसेट की मदद से पटवन कर रोपनी का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एड़ी-चोंटी एक करने लगे. इसके बाद गत तीन सप्ताह से वर्षा बंद होने के कारण किसानों की शेष बची रोपनी भी बंद पड़ गयी है. हालांकि कुछ जिद्दी व जोखिम लेने वाले इक्का-दुक्का किसान अभी भी पंपसेट से पटवन कर रोपनी कर रहे हैं. प्रखंड क्षेत्र में 6440 हेक्टेयर भूमि में धान की खेती का कृषि विभाग ने लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल हो गया है. वहीं जितने भू-ग में रोपनी का कार्य हो चुका है, उसमें भी दरारें आ रही है. इससे किसानों को कर्ज व ऋण लेकर लगाए गए लागत के डूबने का भी भय सता रहा है. आकाश में किसी-किसी दिन मंडराते बादल को देख किसानों की उम्मीदें बंध जा रही है कि अब बारिश होगी, लेकिन आकाश से एक बूंद पानी भी गिरने का नाम तक नहीं है. इससे उनकी बेचैनी बढ़नी स्वभाविक है. एक अनुमान के अनुसार करीब चार हजार हेक्टेयर सिंचाई योग्य भूमि में रोपनी का कार्य पूरा हो चुका है. यह लक्ष्य का करीब 62 प्रतिशत है.
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