चुनावी घोषणा बनकर रह गया म्यूजियम गुमटी का लो काॅस्ट ओवर ब्रिज
वर्ष 2024 के 16 फरवरी को मंडल रेल प्रशासन की ओर से इस स्थल पर लो कॉस्ट ओवर ब्रिज निर्माण कार्य का समारोहपूर्वक शिलान्यास किया गया था.
दरभंगा. यूं तो शहर को दो भागों में बांटने वाले दरभंगा-समस्तीपुर रेलखंड के सभी रेल फाटकों पर ओवर ब्रिज का निर्माण नितांत आवश्यक है, लेकिन इसमें म्यूजियम रेल गुमटी पर इसकी जरूरत अन्य रेल फाटकों की तुलना में कहीं अधिक है. बड़ी आबादी को इस वजह से नित्य परेशानी झेलनी पड़ रही है. इस रेल फाटक पर पुल निर्माण की मांग वर्षों से उठ रही है, बावजूद आज तक इस दिशा में धरातल पर परिणामदायी पहल नहीं हो सकी है. इस रेल फाटक पर लो कॉस्ट ओवर ब्रिज के निर्माण की आधार-शिला रखे जाने से जल्द ही समस्या से निजात मिलने की जगी उम्मीद भी कुम्हलाने लगी है. कारण, एक साल गुजर जाने के बावजूद निर्माण कार्य आरंभ नहीं किया जा सका है. उल्लेखनीय है, दरभंगा जंक्शन से सटे दक्षिण अवस्थित यह रेल फाटक लक्ष्मीसागर सहित दर्जनभर मोहल्लों के लोगों के आवागमन का मुख्य मार्ग है. सदर प्रखंड के कई गांव के लोगों के लिए भी यह निकटतम मार्ग के बीच अवस्थित है. लोगों की परेशानी को देखते हुये तथा उनकी मांग पर रेल प्रशासन ने यहां ओवर ब्रिज निर्माण की जरूरत महसूस की. रेलवे लाइन के पूरब की सड़क की बनावट एवं जमीन के अभाव को देखते हुए मंडल रेल प्रशासन के स्तर से इस स्थान पर रोड ओवर ब्रिज की जगह लो कॉस्ट ओवर ब्रिज निर्माण का फैसला लिया गया. इसमें सांसद गोपालजी ठाकुर की भूमिका भी अहम रही. अधिकांश समय लंबी अवधि के लिए बंद रहता फाटक दरभंगा-समस्तीपुर रेल खंड के दो तिहाई हिस्से का दोहरीकरण हो जाने, सीतामढ़ी, जयनगर, निर्मली, हरनगर के साथ लौकहा बाजार रेल खंड पर ट्रेनों का आवागमन बहाल हो जाने के कारण गाड़ियों की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है. ऐसे में ट्रेनों के आवागमन के दौरान सुरक्षा के नजरिए से रेल फाटक को बंद कर दिया जाता है. जंक्शन के ठीक निकट होने के कारण स्टेशन पर गाड़ियों के आने के समय भी फाटक गिरा दिया जाता है. इस रेल फाटक को एहतियातन जंक्शन से ही लॉक कर दिया जाता है. इस कारण इसे खोलने में अक्सर काफी वक्त लगा दिया जाता है. लिहाजा अन्य रेल फटकों की तुलना में यह लंबी अवधि तक बंद रहता है. इसका खामियाजा आम राहगीरों को भुगतना पड़ता है. बता दें कि जंक्शन से प्रतिदिन चार दर्जन से अधिक गाड़ियां आवागमन करती है. नित्य परेशानी झेलते नौनिहाल वैसे तो इसके कारण उत्पन्न समस्या आम से लेकर खास सभी को झेलनी पड़ती है, लेकिन सर्वाधिक परेशानी स्कूली बच्चों को हो रही है. स्कूली टाइम में शायद ही यह रेल फाटक खुला हुआ मिलता है. रेल फाटक के बंद रहने के कारण बच्चों का रोज औसतन एक से डेढ़ घंटा बर्बाद होता है. समारोहपूर्वक किया गया था शिलान्यास वर्ष 2024 के 16 फरवरी को मंडल रेल प्रशासन की ओर से इस स्थल पर लो कॉस्ट ओवर ब्रिज निर्माण कार्य का समारोहपूर्वक शिलान्यास किया गया था. सांसद गोपालजी ठाकुर ने रेल अधिकारियों की मौजूदगी में आधारशिला रखी थी. 8.98 करोड़ की लागत से बनने वाले रोड ओवर ब्रिज के शिलान्यास से लोगों में जल्द ही समस्या से छुटकारा मिलने की आस जगी. लेकिन, एक साल गुजर जाने के बाद भी धरातल पर काम आरंभ नहीं होने से लोग निराश हो चले हैं. शिलान्यास को लोग चुनावी स्टंट तक बताने लगे हैं.
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